उदयपुर। सिन्धी शिक्षा एवं साहित्य संगत तथा राजस्थान सिन्धी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में सिन्धी अरबी लिपि को बच्चों को सिखाने के मुख्य उद्देश्स से हिरण मगरी से. 4 के झूलेलाल भवन में सिन्धी कक्षाओं का आयोजन किया गया।
कक्षाओं के माध्यम से सिन्धी भाषा का उपयोग एवं प्रचलन बढ़ाने के साथ-साथ सिन्धी संस्कृति, गीत-संगीत एवं उत्कृष्ट परम्पराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी सार्थक प्रयास किया गया। एक माह की कक्षा-सत्र का समापन सांस्कृतिक-संध्या के रूप में हुआ।
कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों द्वारा भगवान श्री झूलेलाल की तस्वीर का मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्ज्वल कर किया गया। संगत के पदाधिकारियों द्वारा माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। समापन समारोह का आगाज़ करते हुएं सचिव शमशेर सिंह नंदवानी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने सिन्धी भाषा की वर्तमान स्थिति पर चिन्ता ज़ाहिर करते हुए इसे बचाने एवं प्रसारित करने की ज़िम्मेदारी वर्तमान पीढ़ी के अभिभावकों एवं बच्चों को लेने का आव्हान किया। कक्षाओं के समापन समारोह को बच्चों द्वारा लिये गए सिन्धी भाषा ज्ञान, मनमोहक नृत्यों, बाल कविताओं, ह्द्यस्पर्शी एकल एवं सामूहिक गीतों से सुसज्जित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुरली राजानी ने की। मुख्य अतिथि लाजपत राय पाहुजा, प्रतापराय चुग अर्जुन देव केवलरामानी हरीश राजानी थे।