नीतू सिंह राठौड़ को पीएचडी
उदयपुर। नीतू सिंह राठौड़ को जर्नादनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय ने पी.एच.डी प्रदान की है। नीतू सिंह राठौड़ ने रिकार्ड के आधार पर मेवाड़ 1778-1828 ई. विषय पर प्रो. नीलम कौशिक के निर्देशन में शोध कार्य किया।
नीतू सिंह ने आलोच्यकाल को मेवाड़ के लिए संक्रमणकाल बताया है। नीतू सिंह ने इसके कारणों को रिकार्ड के आधार पर बताया कि अठारहवीं सदी में मेवाड़ के कमजोर राजनैतिक नेतृत्व का लाभ उठाते हुए मराठा-पिण्डारियों ने पूरे सौ वर्ष से अधिक समय तक लूटमार कर यहां की आर्थिक व्यवस्था को कमजोर कर दिया।
अध्ययनकाल मे महाराणा के सहयोगी जागीरदार राव उमराव (षक्तावत-चुण्डावत) भी शासन मे शीर्ष स्थान बनाये रखने के लिए संघर्षरत रहे। उसका लाभ मराठा-पिण्डारियों ने भी लिया। महाराणा ने मेवाड़ की स्थिती को सुधारने के लिये अंग्रेजों से संधि कर ली। परिणामस्वरूप मराठा-पिण्डारी आक्रमणो से तो छुटकारा मिल गया, किन्तु मेवाड़ शासन में ब्रिटिश हस्तक्षेप बढा। अंग्रेजों ने व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से मेवाड़ का आर्थिक शोषण किया।