उदयपुर। आचार्य जिनदर्शन सूरिश्वर महाराज ने कहा कि श्रावक-श्राविकाओं के जीवन में न चाहते हुए अनेक जीवों की विराधना होती है। ऐसे में इन्हें जीव हिंसा से बचने हरसंभव प्रयास करना चाहिये।
वे आज जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ जिनालय द्वारा शंातिनाथ जिनालय के आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्मसाधना के लिये शरीर का स्वस्थ रहना आवश्यक है लेकिन इसके साथ-साथ धर्म में दृढ़ता परम आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जैन धर्म के 9 आभूषण सामयिक, प्रतिक्रमण, पोषध,प्रभु पूजा, स्नात्र महोत्सव, विलपन पूजा, ब्रह्मचर्य, दान एवं तप है। सुशील बांठिया ने बताया कि बुधवार से वर्षीतप प्रारम्भ होगा। जिसमें आचार्य द्वारा विभिन्न प्रकार की क्रियाएं करायी जाएगी।