उदयपुर। साध्वी नीलांजना श्रीजी ने कहा कि समय की महत्ता पहचानना चाहिये क्योंकि समय किसी के लिए नही रुकता है। जो समय को पकड़कर चलता है वो अविस्मरणीय बन जाता है। समय समाप्त होने से पहले जो जाग जाता है वो ही अपना मकाम कायम करता है।
वे शुक्रवार को वासुपूज्य स्थित दादावाड़ी में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि अपनी जीवन यात्रा पर नजर तो डालें। अब तक क्या किया है! जिस तरह पहले मुर्गी आयी या अंडा। इसका कोई जवाब नहीं है। आत्मा का जन्म कहंा से हुआ इसका भी कोई जवाब नही है। वो जीव जिन्हें माता पिता की गोद नही मिली उन्हें निगोद कहते हैं। उनमें भी दो सूक्ष्म जिसे आंखें देख नहीं सकती। उन्हंे केवल्य ज्ञान से देखा जा सकता है। दूसरा बादल निगोद जो रुट वेजिटेबल्स जमीकंद कहलाता है। सुई की नोक के बराबर स्थान में असंख्य जीव रहते हैं उन्हें सूक्ष्म निगोद में माना जाता है। पहले हम सूक्ष्म निगोद में थे फिर हम बादल निगोद में आये।
एक किलोमीटर चलने वाला व्यक्ति थक जाता है लेकिन असंख्य किमी चलकर इस संसार में माता पिता के माध्यम से आने वाला जीव कभी नही थकता। कभी किसी ने कहा कि हे परमात्मा में थक गया हूँ। अब मुझे समाधि दे दो। अपनी शरण में ले लो। संसार से एक आत्मा पापों का क्षय करके सिद्ध बनी और सूक्ष्म से बादल निगोद में आया। घर सबसे बड़ा शव है। पृथ्वीकाय से आया पत्थर, मिट्टी से मकान बनाया। फिर अंदर फर्नीचर सजाया जो वनस्पतिकाय से आया और जिस पेड़ को नष्ट कर फर्नीचर बनाया, वो उस पेड़ का कलेवर है। कपास से कपड़ा बनता है। सारा घर शवों से भरा हुआ है।