उदयपुर। सार्वजनिक प्रन्यास मंदिर श्रीमहाकालेश्वर में 31 जुलाई को निकलने वाले भगवान आशुतोष महाकालेश्वर की शाही सवारी को लेकर बैठक आहुत हुई, जिसमें शाही सवारी को सुव्यवस्थित, शान्ति एवं मेवाड़ की परम्परागत शैली से निकालने के लिए रविवार को प्रातः 11 बजे सर्वसमाज, संगठनों एवं धर्मप्रेमियों की बैठक हुई।
प्रन्यास अध्यक्ष तेजसिंह सरूपरिया ने बताया कि कल होने वाली बैठक में शाही सवारी की रूपरेखा एवं भव्यता पर विचार विमर्श किया जाएगा। आचार्य नीरज आमेटा द्वारा पार्थेश्वर पूजन महायज्ञ के अन्तर्गत आज धनुषाकृति का निर्माण आठ हजार आठ सौ इक्यावन मिट्टी के शिवलिगों का निर्माण किया गया। विधि विधान से पूजा अर्चन करते हुए धनुषाकृति के बारे में बताया कि धनुषाकृति वीरता, शौर्य, पराक्रम का प्रतीक होता है मानव जीवन में धनुषाकृति उसका (मानव) का पूरा साकार और उत्सर्जीत स्वरूप है। जब धनुष के उपर प्रत्यन्चा को चढाया जाता है तो उसकी आकृति पृथ्वी के अनुरूप होती है उससे जो टंकार की आवाज निकलती है वह हजारों रासायनि विस्फोटक बम के ताकत के बराबर होती है। इसका उदाहरण हमें रामायण में जब श्रीराम ने आक्रोषित होकर समुूद्र उलाघंने हेतु प्रत्यंचा चढाईग् तो उसकी जो ध्वनी थी उसमें तीनों लोकों तक सुनाई दी यह मानव जीवन में धनुषाकार कृति का बहुत महत्व है। समस्त जीवन जगत के निलये बहुत उपयोगी है। जिस प्रकार धनुष की टंकार से तीनों लोकों में ध्वनि सुनाई दी और उससे सृष्टि पर आसुरी शक्तियों का समन हुआ और धर्म की स्थापना हुई, उसी प्रकार मानव के जीवन में उसकी उन्नति एवं व्यक्तित्व को निखारने के लिए धनुषाकृति का पूजन किया गया है। 17 जुलाई को हरिओम महिला सत्संग मण्डल की ओर से कावड़ यात्रा बाईजीराज कुण्ड से महाकालेश्वर मंदिर तक होगी। उक्त जानकारी महिला मण्डल अध्यक्ष आभा आमेटा ने दी।