ज्ञानषाला दिवस पर हुए विविध आयोजन
उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के तत्वावधान में रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में ज्ञानशाला दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पूरे दिन बच्चों के लिए शिविर का आयोजन किया गया। सान्निध्य चातुर्मास कर रहे शासन श्री मुनि सुखलाल, मुनि मोहजीत कुमार का रहा।
शासन श्री मुनि सुखलाल ने कहा कि आज ज्ञानशालाओं के माध्यम से 16 हजार से अधिक बच्चे ज्ञानशाला दिवस मना रहे हैं। बच्चों के बिना परिवार सूना लगता है, मातृत्व भी अधूरा रहता है। माँ बाप बच्चे को बड़ा करते हैं कि बुढ़ापे में काम आए लेकिन आज कितने मा बाप बच्चों से संतुष्ट हैं। अगर हैं तो वे बहुत भाग्यशाली हैं। कई के बच्चे तो विदेश में रहते हैं। मोबाइल के कारण बच्चों का खाना पीना तक छूट जाता है। शिक्षाविदों को भी महसूस होने लगा है कि अध्यात्म की शिक्षा दी जानी चाहिए। हमारे यहां यह काम ज्ञानशाला के माध्यम से बरसों से हो रहा है। नवकार मंत्र आत्मा को पवित्र करता है। आने वाले समय में बच्चे अपने माँ बाप की बजाय पत्नी की बात मानेंगे अगर अध्यात्म की शिक्षा नही दी गयी तो। बहनें बच्चों को सिर्फ स्कूल के भरोसे न छोड़ें। बस्ते को देखें। कैसे बोलते हैं, कैसे व्यवहार करते हैं नजर रखें।
मुनि मोहजीत कुमार ने कहा कि इस वर्ष ज्ञानशाला का रजत जयंती वर्ष मनाया जा रहा है। जसकी परिकल्पना, नया स्वरूप देने वाले आचार्य तुलसी आज हमारे बीच नही हैं लेकिन उनकी यही कल्पना रही होगी कि बच्चों में बचपन से संस्कार डाले जाएं। जहां ज्ञान का उदय होता हो। सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र का उभय होता हो। तुलसी ऐसे महामानव थे जो दिन में सपना देखकर उसको पूरा करते थे। जब यह उपक्रम आरम्भ हुआ, उससे पहले जैन विद्या चलती थी। आज ज्ञानशाला के स्वरूप ने ये प्रयोग प्रारम्भ किया। आज यह बहुत मौलिक सिद्ध हो रहा है। वे अभिभावक धन्यवाद के पात्र हैं जो बच्चों को ज्ञानशाला में भेजते हैं। यहां किताबी ज्ञान के अलावा संस्कारी ज्ञान लेने आते हैं। बच्चे और प्रशिक्षिकाएँ दोनों बधाई के पात्र हैं। युवा पीढ़ी भी इससे जुड़ रही हैं यह बहुत अच्छी बात है। अपेक्षा या आकांक्षा का भाव नही रखते हुए निरपेक्ष भाव रखते हुए बच्चों में संस्कार डाल रही प्रशिक्षिकाएँ भी समर्पित भाव से काम कर रही हैं। संघ की प्रभावना में दीक्षा लेने के लिए भी उन्होंने प्रेरणा दी।
बाल मुनि जयेश कुमार ने गीतिका प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि जीवन में ज्ञान का बहुत महत्व है। सात्विक और असात्विक ज्ञान। ज्ञानशाला के माध्यम से आपको सात्विक ज्ञान दिया जता है। कई परिस्थितिया आती है जिनका हम सात्विक ज्ञान के जरिये समाधान पा सकते हैं। लघु कहानी के माध्यम से उन्होंने माता लक्ष्मी और सरस्वती का अपना अपना महत्व बताया। ज्ञानशाला से हमें आचरण सीखने को मिलता है ताकि वही अपने जीवन में उतार सकें।
ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने सदसंस्कार जगाएं, इस भावी पीढ़ी को आगे बढ़ाएं.. गीत की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला संयोजिका सुनीता बैंगानी ने ज्ञानशाला की जानकारी दी। मुख्य संयोजक फतहलाल जैन ने स्वागत उद्बोधन दिया। शहर में चल रही सभी छह ज्ञानशालाओं के बच्चों ने कार्यक्रम में शिरकत की। आरम्भ में बच्चों ने गुरु वंदन कर मंगलाचरण किया। संचालन संगीता पोरवाल ने किया। सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने आगे संघीय कार्यक्रमों की जानकारी दी। तेरापंथ युवक परिषद अधयक अरुण मेहता के नेतृत्व में 24 अगस्त को होने वाले सवा करोड़ जप के पोस्टर का विमोचन किया गया। महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी कोठारी ने सूचनाएं प्रदान की।