उदयपुर। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में संचालित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानम् (मानित विश्वविद्यालय) नई दिल्ली द्वारा उदयपुर के पेसिफिक यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट विभाग में भी इसका शुभारंभ हुआ।
डीन प्रोफेसर महिमा बिरला ने बताया कि मानव जाति आज व्यस्त जीवन शैली से संतप्त है और ऐसे में वेद, उपनिषद्, पुराण और धर्मशास्त्र इत्यादि दिव्य ग्रंथों में निहित ज्ञानराशि ही एक मात्र शांतिप्रदायक है। ये सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। और जब तक संस्कृत नहीं जानेगें तो इनमें स्थित ज्ञान कैसे प्राप्त कर सकेंगे। भाषा एक अभिव्यक्ति का माध्यम होने से किसी जाति, धर्म, संप्रदाय या समाज के संकुचित दायरे से परे है। ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘‘ ;ज्ीम ूीवसम ूवतसक पे वदम ंिउपसलद्ध जैसी भावना से ओत-प्रोत संस्कृत भाषा तो समस्त प्राणियों के लिए है। सबसे ज्यादा शब्दों के होने के बावजूद भी कम शब्दों में बहुत कुछ कहने की क्षमता वाली, ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्‘‘ जैसे अनेक उपदेशों से परिपूर्ण संस्कृत भाषा पुराकाल की तरह फिर से जनभाषा बने इस लक्ष्य के साथ ‘‘सर्वजनहिताय, सर्वजनसुखाय‘‘ की भावना से इस केन्द्र को खोला गया है। विश्व में विद्यमान समस्त भाषाओं की जननी संस्कृत कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त, प्राचीन, योग, अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र, गणित शास्त्र, दर्शन, साहित्य, कला इत्यादि असंख्य विज्ञान का भण्डार, सर्वोपकारिणी संस्कृत भाषा आज विदेशों में नासा, युनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, एम.आई.टी. व अन्य संस्थाओं में भी पढ़ाई जा रही है। भारतीय संस्कृति की सुरक्षा, चरित्रवान नागरिकों के निर्माण, सद्भावनाओं के प्रसार, प्राचीन ज्ञान विज्ञान की प्राप्ति हेतु संस्कृत भाषा का अध्ययन श्रेष्ठ है। इस केन्द्र में 110 घण्टों में अत्यंत सरल पद्धति से संस्कृत बोलना सिखाया जायेगा। इस कोर्स को करने के उपरांत होने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र भी दिए जायेंगे जो कि उनके प्रगत अध्ययन में लाभप्रद होगा। नामांकन शुल्क मात्र 350 रूपये हैं। नामांकन की अंतिम तिथि 8 सितम्बर है। इस कोर्स में नामांकित विद्यार्थियों को कोर्स की पाठ्यसामग्री भी निःशुल्क प्रदान किया जायेगा – इस कोर्स को सभी संस्कृत के जिज्ञासु कर सकते हैं। इस केन्द्र का मुख्य लक्ष्य है संस्कृत भाषा का ज्ञान सर्वसामान्य को भी मिल सके और संस्कृतेतर संस्था के विद्यार्थी भी इस का लाभ उठा सकें। इस कोर्स के लिये दिन में मात्र 1 घण्टे का समय निर्धारित है।