संयुक्त परिवारों का जीवन सर्वोत्तम
उदयपुर। हिरणमगरी से. 8 स्थित वासुपूज्य दिगम्बर जैन मन्दिर में विराजित आर्यिका राष्ट्र संत 108 सुप्रकाशमति माताजी ने धर्मसभा में कहा कि संयुक्त परिवार का जीवन सर्वोत्तम होता है। एकल परिवार में जीवन जीने वाला व्यक्ति अवसाद में रहता है।
उन्होंने कहा कि एकल परिवार में रहने वाले बच्चों में संस्कारों से विमुख होते है। यदि समय रहते पुनः संयुक्त परिवारों में नही लौटे तो परिवारों में एक-दूसरे का ध्यान रखने का ख्याल भूल जायेंगें।
सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि जब संस्कार युक्त, स्वामिभानयुक्त भारत का युग आयेगा जब वास्तविक रूप में भारत पुनः सोने की चिड़िया कहलायेगा,अन्यथा कितने ही प्रधानमंत्री बदल दो, कुछ नहीं होगा।
राजेन्द्र वेड़ा ने बताया कि प्रतिदिन यंहा पर तत्व चर्चा एवं प्रश्न मंच कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित हो रहे है। राष्ट्रीय प्रवक्ता सुषमा चित्तौड़ा ने बताया कि गुरू मात्र सुप्रकाशमति माताजी एवं संस्कार यात्रा का बलीचा स्थित ध्यानोदय क्षेत्र के लिये मंगल विहार 29 नवम्बर को प्रातः 7 बजे होगा।