उदयपुर। घाटों पर शौच, नशीली दवाइयों के इंजेक्शन, शराब की बोतलें, गुटखों के पाउच और झील में मांस के लोथड़ों से भरी थैलियां, पॉलीथिन, प्लास्टिक, साबुन सर्फ के रैपर, मैले सड़े वस्त्र व अन्य विविध प्रकार का मकानों, होटलों का कचरा। यह स्थिति थी वर्ष के अंतिम दिन को झील की।
झील प्रेमी डॉ अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा ने रविवार को झील दौरे के बाद दुखी मन से कहा कि स्मार्ट सिटी बनने जा रहा शहर जीवनदायी झीलों के साथ दरिंदगी का व्यहवार कर रहा है जबकि झीलों से ही शहर का अस्तित्व है। झील प्रेमियों ने कहा कि आशा की जानी चाहिए कि नए साल में सभी नागरिक, प्रशासन, राजनीतिज्ञ, होटल व गेस्ट हाउस मालिक व पर्यटक झीलों को मातृवत समझ इनके पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लेंगे।
सफाई श्रमदान से 2017 को विदा : झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति, डॉ मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, गांधी मानव कल्याण समिति के साझे में झील प्रेमियों ने पीछोला घाटों व झील से गंदगी, खरपतवार को हटाया। मानव सिंह, पल्लब दत्ता, रामलाल गहलोत, तेजशंकर पालीवाल, अनिल मेहता इत्यादि ने भाग लिया।