उदयपुर। अंकलिकर परम्परा के चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनील सागर महाराज ने हिरणमगरी से. 11 स्थित आदिनाथ भवन में सुबह मंगल वेला में ब्रह्मचारी धुलीचन्द जैन सिंघवी को श्रेष्ठ संलेखना समाधि के लक्ष्यपूर्वक क्षुल्लक दीक्षा रूप 11 प्रतिमा के संस्कार देकर क्षुल्लक सुतप सागर बनाया।
आदिनाथ भवन ट्रस्ट अध्यक्ष अशोक शाह ने बताया कि उदयपुर निवासी श्री जैन पिछले 15 वर्षों से 7 प्रतिमा साधना में रत थे। वे तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर के सेवक गुरुभक्त थे। अपने शरीर की अस्वस्थ हालत देखकर अस्पताल का रास्ता छोड़कर अपने व्रतों को अखण्ड रखने की प्रशस्त भावना से आचार्य सुनील सागर के चरणों में समाधि की साधना बरसाने का आग्रह किया। उनकी भावना, परिवार की स्वीकृति और उनके कड़े तप देखकर आचार्य श्री ने दीक्षा धारण करवाकर सुतप करने का संकल्प दिलाया। भरे पांडाल में आचार्य ने सभी श्रद्धालुओं को कुछ न कुछ नियम लेने हेतु प्रोत्साहित किया।