उदयपुर। राजस्थान कृषि महाविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के विशेष कैंप में उपस्थित स्वयंसेवकों और स्वयंसेविकाओं हेतु सोमवार को “सेमल वृक्ष सरंक्षण” विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।
इसमें मुख्य वक्ता सोसाइटी फॉर माइक्रोवायटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन की सचिव तथा राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र की सहायक आचार्य डॉ. वर्तिका जैन ने बताया की सेमल एक बहुद्देशीय औषधीय वृक्ष है जिसका महत्त्व मानव जीवन के हर क्षेत्र जैसे आध्यात्म, पर्यावरण, औषधि, व्यवसाय, संस्कृति इत्यादि में है परन्तु मेवाड़ क्षेत्र में हर वर्ष होलिका दहन पर सेमल को अग्निप्रतिरोधक होने से भक्त प्रह्लाद का स्वरूप माना जाता है तथा हजारों की संख्या में इस वृक्ष की कटाई के चलते इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. उन्होंने बताया की पर्यावरण में एक प्रजाति की अनुपलब्धता से उस पर निर्भर अन्य कई प्रजातियाँ भी खतरे में आ जाती है और सेमल वृक्ष कई पशु-पक्षियों को भोजन और आवास उपलब्ध कराता है. अतः इसके समाप्त होने से वे सभी प्रजातियां भी खतरे में आ जायेंगी. अंत में डॉ. वर्तिका ने सोसाइटी द्वारा विगत ग्यारह वर्षों से सेमल सरंक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों को बताते हुए विद्यार्थियों को अधिकाधिक सेमल वृक्षारोपण तथा होलिका दहन के लिए इस वृक्ष के स्थान पर लोह-होलिका दहन जैसे अन्य पर्यावरण सरंक्षी उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. कार्यक्रम प्रभारी डॉ.एस. सी. मीणा ने अंत में इस प्रेरणादायी व्याख्यान के लिए डॉ वर्तिका का आभार प्रकट किया।