उदयपुर। राष्ट्रसंत और गणिनी आर्यिका सुप्रकाशमती माताजी और मुनि आज्ञा सागर महाराज के सानिध्य में औद्योगिक नगरी कानपुर गाव में मंगलवार से पंाच दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारम्भ हुआ।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान आदिनाथ का तपस्या के एक वर्ष बाद प्रथम आहार हुआ था। कानपुर स्थित आदिनाथ मन्दिर में आयोजित किये जा रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत जिन मन्दिर में अभिषेक के पश्चात इन्द्र निमंत्रण के साथ जुलूस भक्तों के नृत्य के साथ पाण्डाल पंहुचा। जहंा भंवरलाल,प्रेमचन्द,इन्द्रमल नागदा परिवार द्वारा ध्वजारोहण एवं चित्र अनावरण लोकेश थावरचंद द्वारा किया गया। मंडप उद्घाटन एवं दीप प्रज्जवलन जीतमल, भगवतीलाल परिवार द्वारा किया गया। शान्तिधारा भगवतीलाल,लाभचंद, विनोद भाई परिवार द्वारा किया की गई।
इस अवसर पर सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि अक्षय तृतीया एवं दशहरे पर किसी प्रकार मुहूर्त नहीं देखा जाता है। धीरे-धीरे कर्मभूमि प्रारम्भ हुई। लोगों को कुछ भी ज्ञान नहीं था। भोगों का काल समाप्त हुआ,तब महापुरूषों का जन्म हुआ। भगवान ऋषभदेव ने जन्म लिया। उन्होेंने नारा दिया था कि कृषि करो या ऋषि बनो बौर भगवान महावीर ने नारा दिया कि जीयो और जीने दो। वर्तमान में ये दोनों सूत्र गायब हो गये। व्यक्ति आंखों से देखकर अधिक सीखता है सुनकर नहीं। इंसान का पुण्य समाप्त हो जाता है तो प्रकृति भी साथ छोड़ देती है।
मुनि आज्ञासागर महाराज ने कहा कि किसी भी कार्य का शुभारम्भ जिनाभिषेक से किया जाय तो उसमें विघ्न नहीं आता है और ध्वजा लहराती है तथा यश कीर्ति फहराती है। पंचकल्याणक अपने स्वयं के कल्याण का कारक बनता है।
इस अवसर पर महोत्सव के अध्यक्ष भीमराज ने प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत किया। समाज अध्यक्ष शान्तिलाल जैन ने गर्भकल्याणक पूर्व विधि क्रिया में सौधर्म इन्द्र का दरबार,नाभिराजा का दरबार रत्न वृष्टि,माता के सोलह स्वप्न दर्शन के कार्यक्रम में सभी श्रावकों ने उत्साह के साथ भाग लिया।