उदयपुर। अन्तर्मना मुनि प्रसन्न सागर ने कहा कि जब भी मोक्ष मार्ग बनेगा, निर्ग्रंथ संतों से ही बनेगा, वस्त्रधारियों से नहीं। श्रावक को अपने कर्तव्यों का भली-भांति पालन करना चाहिए। कर्तव्य को कष्ट नहीं मानना चाहिए।
वे गुरुवार को सेक्टर 11 स्थित महावीर नगर में प्रवास के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज इनके प्रति श्रद्धा भक्ति नहीं होने से औपचारिकता मात्र हो रही है। सांसारिक और पारलौकिक सुख पुण्य संचय के कारण ही मिलता है। जितना गाढ़ा पुण्य संचय होगा, उतना ही सुख आनंद बढ़ता जाएगा। व्यक्ति को प्रति समय पुण्य गाढ़ा करते रहने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए चार उपाय बताए। जिनेन्द्र भक्ति, सत्पात्र को दान, व्रतों का निर्दोष पालन और उपवास। आहार दान करना चाहिए। अगर आहारदान स्वयं नहीं कर पाए तो आहार क्रिया देखें। व्रत नियम संतों से लेकर उसका कड़ाई से पालन करें। नियम की परीक्षा कभी कभी होती ही रहती है, इससे घबराएं नहीं। यथा शक्ति मासिक उपवास-एकासन से शरीररूपी मशीन भी ठीक रहती है।
उन्होंने कहा कि व्रतों-संकल्पों में दोष लगता है और इन दोषों के कारण अर्जित पाप का प्रक्षालन करने हेतु वृहद चरित्र शुद्धि पूजन आगामी 1 से 5 मई तक होगा। मूल रूप् से यह विधान महाव्रतियों संतो ंके लिए है लेकिन आप सभी सौभाग्यशाली हैं कि एक निर्गं्रथ संत के सान्निध्य में आपको करने का अवसर मिल रहा है।