महिलाओं व युवावर्ग की भी रहेगी बराबर की भागीदारी
उदयपुर। आगामी 21 जुलाई को चातुर्मास हेतु शहर में प्रवेश करने वाले श्रमणसंघीय आचार्य डाॅ.शिवमुनि महाराज के चातुर्मास को भव्य एवं एतिहासिक बनाने के लिये वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर एवं शिवाचार्य चातुर्मास आयोजन समिति ने अब कमर कस ली है। इस सन्दर्भ में आज चातुर्मास संबंधी व्यवस्थाओं का जायजा लेने एवं समाजजनों से सुझाव आमंत्रित करने के लिये देवेन्द्र धाम में एक बैठक का आयोजन किया गया,जिसमें पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं व युवावर्ग की भी बराबर भागीदारी रहेगी। बैठक में 400 से अधिक समाजजन उपस्थित थे।
संघ के अध्यक्ष आंेकारसिंह सिरोया ने प्रारम्भ में शहर के विभिन्न उपनगरों से आये पदाधिकारिेयों का स्वागत किया। उन्होेंने बताया कि संघ पिछले 14 वर्षो से आचार्यश्री के चातुर्मास को प्राप्त करने के लिये प्रयासरत था और अब जा कर सफलता मिली है।
चातुर्मास संयोजक विरेन्द्र डांगी ने बताया कि चातुर्मास को एतिहासिक बनाने के लिये लेकर विभिन्न समितियों का गठन कर दिया गया है और प्रत्येक समिति अपना कार्य पूर्ण निष्ठा के साथ कर रही है। शहर में 16 वर्ष बाद होने जा रहे श्रमणसंघीय आचार्यश्री के चातुर्मास को एतिहासिक बनाने के लिये समाजजनों से प्राप्त सुझाव के अनुसार आचार्यश्री के प्रवेश के दौरान निकलने वाली भव्य शोभायात्रा में पुरूष धवल वस्त्र एवं महिलायें एक निर्धारित डेªस कोड में दिखाई देगी। जिसमें संदेशपरक झांकियां भी शामिल होगी। शोभायात्रा में करीब 2 हजार बच्चें भी भाग लेकर आचार्यश्री की अगवानी करेंगे।
संयोजक संजय भडारी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान बाहर से आने वाले श्रावक-श्राविकाओं के ठहरने के लिये विभिन्न स्थानों का चयन कर लिया गया है। 29 जून को आचार्यश्री का नाईगांव स्थित स्थानक से प्रारम्भ हो कर दुधियागणेशजी स्थित स्थानक में भव्य प्रवेश होगा।
महिला मण्डल की संयोजिका पूर्व महापौर रजनी डंागी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान महिलाओं की बराबर भागीदारी रहेगी। महिला मण्डलों द्वारा संास्कृतिक कार्यक्रमों को नये रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जायेगा। इसके अलावा 4 माह के दौरान आचार्यश्री के सानिध्य में 11 धर्मचक्र बनाने का प्रयास किया जायेगा।
संघ ने बैठक में बताया किया कि चातुर्मासकाल में 11 धर्मचक्र आयेाजित किये जाने चाहिये। जिसमें तीन दिवसीय उपवास का 1 तेला, 2 दिन का उपवास के 42 लोग एक साथ बेले करेंगे तो वह जाकर एक पूर्ण धर्मचक्र होगा।
नीता छाजेड़ ने बताया कि चातुर्मासकाल में विभिन्न संघों द्वारा एक माह,15 दिन,8 दिन 4 माह तक 3-3दिन और 4 माह तक उपवास के रूप में आयम्बिल की लड़ी की जायेगी। रेखा जैन ने बताया कि यह चातुर्मास आत्मज्ञान व साधना से भरपूर रहेगा। श्रीमती कमला हरकावत ने हि.म.से. 3 से धर्मचक्र लेने की घोषणा की। बैठक में डाॅ. सुधा भण्डारी,पिंकी माण्डावत आदि महिलाओं ने भी विचार व्यक्त किये।
ज्योति सिंघवी ने कहा कि 26 व 27 को तेले व 28 जुलाई को बेले से धर्मचक्र प्रारम्भ किया जायेगा। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री का धर्म पर विशेष फोकस रहेगा। महिलाओं को कम से कम 1 दिन के ध्यान शिविर में अवश्य भाग लेना चाहिये। ममता रांका एवं पुष्पा खमेसरा ने कहा कि चातुर्मास के दौरान होने वाली मंगलाचरण की प्रस्तुति संगीतमय बनाने का सुझाव दिया। प्रवीणा सर्राफ ने कहा कि 28 से अधिक तपस्या करने करने वाली बहिनों के लिये मेहंदी का कार्यक्रम आयोजित किये जाने का सुझाव दिया।
अजैनी के लिये हो अलग से बैठने की व्यवस्था- वरिष्ठ श्रावक एवं शिक्षक नेता भंवर सेठ ने सुझाव दिया कि यह इतिहास रहा है कि आचार्यश्री के प्रवचन सुनने सिर्फ जैनी ही नहीं आते वरन् अनेक अजैनी महिला-पुरूष भी आते है। ऐसे में उन्हें कोई असुविधा न हों, इसके लिये उनके बैठने के लिये अलग से व्यवस्था की जानी चाहिये। नरेन्द्र डंागी ने कहा कि चातुर्मास को नयी उचाईयों पर पंहुचाने के लिये ध्यान साधना को होना जरूरी है। श्राविका संघ की अध्यक्ष भूरीबाई सिंघवी ने महिलाओं से 42 बेले व 1 तेले के लिये नाम लिखवानें का सुझाव दिया। श्रमण संघ से. 11 के नलवाया ने सुझाव दिया कि शहर की चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार पर आचार्यश्री के हार्डिंग लगाकर उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये। बैठक मंि महेन्द्र तलेसरा, दिनेश चोर्डिया ने भी अपने सुझाव रखें।
प्रचार-प्रसार समिति संयोजक निर्मल पोखरना ने कहा कि शहर में विभिन्न स्थानों सहित मुख्य चैराहों पर चातुर्मास के अनेक होर्डिंग लगाये जायेंगे। अंत में आभार संघ के महामंत्री हिम्मतसिंह गलुण्डिया ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन महेन्द्र तलेसरा ने किया।