उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डाॅ.आचार्य शिवमुनि ने कहा कि भगवान महावीर का ज्ञान साधना हमारें भीतर मौजूद है। ईश्वर ने जो धर्म हमें दिया है उको हमारें जीवन में उतारना है।
वे आज हिरणमगरी से. 1 स्थित महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। जब तक हम भगवान की वाणी को आत्मसात नहीं करेंगे तब तक हमारें जीवन का कल्याण संभव नहीं है। व्यक्ति जब तक शक्ति में होता है और जब वह अपनी शक्ति का सदुपयोग करता है तब तक लोग उसका सम्मान करते है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का धर्म भेद विज्ञान का धर्म है। शरीर व आत्मा अलग-अलग है। वर्षाकाल में यदि किसान बीज न बोयंे तो तो बाद में उसे पश्चाताप होता है वैसे ही भगवान के वाणी की वर्षा चातुर्मास में होगी और यदि लोगों ने इसका लाभ नहीं उठाया तोे फिर आपके पश्चाताप करने के अलावा कुछ नहीं बचेगा। चातुर्मास में ध्यान शिविर,प्रवचन,बाल संस्कार के शिविर आयोजित होंगे।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में विवेक की बहुत आवश्यकता होती है। जागरूक इंसान कभी गलत कार्य,पाप नहीं कर सकता है। तप से कर्म निर्जरा होती है। तप में दिखावा नहीं होना चाहिये। इससे पूर्व युवाचार्यश्री आदि ठाणा-10 ने से.11 से विहार कर पूर्व महापौर रजनी-विरेन्द्र डांगी के निवास पर पगलिया करते हुए से. 14 पधारें। जहंा श्रीसंघ के बहनों ने मंगल कलश धारण करके और भाई मंगल जयकारों के साथ विशाल शोभायात्रा के साथ जैन भवन पधारे। प्रवचन सभा को युवाचार्य महेन्द्र ऋषि,़शिरीष मुनि, शुभम मुनि ने भी संबोधित किया। शोभायात्रा में 500 से अधिक श्रावक-श्राविका मौजूद थे। क्षेत्र के अध्यक्ष सुन्दरलाल लाल एलावत ,मंत्री अशोक जैन ने संचालन किया। पूर्व महापौर रजनी डांगी ने भी धर्म सभा में कहा कि चतुर्मसिक कार्यक्रम में पूर्णरूप से अधिक से अधिक सहयोग करेगी।