उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डा. शिवमुनि महाराज ने कहा कि संसारी जीवों के लिए धन की आवश्यकता है। धन सभी के पास होता है और यदि उस धन में कुछ अंश दान कर कर किसी असहाय, अनाथ की मदद करते है तो वह धन आपका सार्थक हो जाता है। धन दान करने से किसी दुःखी के चेहरे पर मुस्कान आती है तो आप सच्चे अर्थों में धनवान हैं।
वे आज अशोक नगर स्थित नाकोड़ा ज्योतिष संस्थान के प्रांगण में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माँ, नदी, पूफल यह हमेशा दूसरों के लिए ही जीते है। माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए जीती है खुद भूखी सो जाती है पर अपने बच्चे को भूखा नहीं रखती हैं। उसके पास कुछ न हो तो खुश रहने की दुआ देती है। नदी भी अपना पानी खुद नहीं पीती है समस्त प्राणी जगत की प्यास बुझाती हैं। फूल भी काँटों में खिलता हैं मनुष्य का जीवन भी परमार्थ के लिए होना चाहिए। अपने लिए तो सभी जीते हैं आपका जीवन करूणा से भर जाता है तो सबको खुशी, आनंद बांटने का मन करता हैं। सभी जीवों के मंगल के लिए प्रार्थना करें।
आचार्यश्री ने कहा कि सच्चे दिल से की हुई प्रार्थना परमात्मा तक जरूर पहुंचती हैं। प्रार्थना और पुरूषार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाते है। आसक्ति और प्रेम में अन्तर हैं। आसक्ति में दुःख मिलता है प्रेम आनंद प्रदान करता हैं। परमात्मा प्रभु महावीर प्रेम, करूणा और वात्सल्य की मूर्ती थे सभी जीवों को प्रेम करों यह महावीर का संदेश था।