उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डा. शिवमुनि महाराज ने चातुर्मास का संकल्प से सिद्धि तक तक का नारा देते हुए कहा कि हमनें संसार के संकल्प बहुत किए अब इस चातुर्मास में यह अवसर मिला है कि हम आध्यात्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
वे आज चातुर्मास प्रारम्भ के प्रथम दिन महाप्रज्ञ विहार स्थित समवशरण पाण्डाल में आयोजित विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभु महावीर ने भी संकल्प लिया और उसी के फलस्वरूप उन्हांेने केवल ज्ञान प्राप्त किया था। उन्होंने कहा कि जब आप संकल्प करते है कि रात को मुझे समवसरण जा कर प्रवचन सुनना है। शुभ कार्य के लिए जब आप सोचते है आपकी कर्म-निर्जरा शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि आपको जीवन में और चातुर्मास काल मंत रात्री भोजन नहीं करने का संकल्प करना है क्योंकि इससे बहुत पाप लगता है। बरसात के दिनों में ऐसे-ऐसे जीवों की उत्पति होती है जो हम आंखों से दिखाई नहीं देते है। उनकी रक्षा के लिए रात्रि भोजन का त्याग करें। जमीकंद को भगवान महावीर स्वामी जी ने अंनतकाय जीव बताया है। हर श्रावक-श्राविका को कम से कम 2 सामायिक करना चाहिये।
आचार्यश्री ने कहा कि चातुर्मास काल में ज्यादा से ज्यादा त्याग, तपस्या और धर्म आराधना करनी चाहिए। चार महिने में आपको कषायों को कम करना है। दान, शील, तप और भावना मोक्ष महल का प्रवेश द्वार है।
उन्होंने कहा कि जिंदगी में प्रत्येक व्यक्ति श्रम करता है, पुरूषार्थ करता है वह समस्त पुरूषार्थ संसार के लिए होता है। मकान बना लिया, दुकान बना ली। आध्यात्मिक क्षेत्रा में हम इतना पुरूषार्थ हम नहीं करते है। चातुर्मास एक अवसर है जिसमें हम आत्मा के ऊपर लगे हुए कर्मों की निर्जरा करते है, मोक्ष मंजिल की यात्रा तय करते है। भगवान महावीर की साधना पुरूषार्थ की साधना हैं। किसी के सहारे से कुछ नहीं हासिल कर सकते। साधना के प्रति तुम्हारी रूचि, तुम्हारा समर्पण ही तुम्हें मुक्ति देगा।
70 वर्ष तक हम धन इक्कठा करते रहें। जब जाने का समय आएगा तो आपके साथ क्या जाएगा। भगवान महावीर स्वामी जी ने सच्ची दौलत, सामायिक, ध्यान, संवर-निर्जरा को बताया क्योंकि यही मनुष्य की यह सच्ची दौलत है और अंतिम समय यही आपके साथ जाएगी। 4 महिने में सच्ची दौलत इक्कठा कर लेना। शुभ दान देना। श्रमण आपके घर पधारेगें तो शुभ भावना से आहार बहरा देना। आपकी अनंत कर्मो की निर्जरा होती है। दान चित्त की अनुकंपा से करना चाहिए। उन्होंने चातुर्मास प्रारम्भ का पहला दिन सभी के लिये मंगलमय कहा।