उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डाॅ. शिवमुनि महाराज ने कहा कि वर्तमान में मनुष्य के पास सुख-सुविधा के सभी साधन है फिर भी उसके पास भी शांति नहीं है। टी.वी., प्रफीज, वाॅशिंग मशीन सभी साधन मौजूद है लेकिन वे साधन भी मनुष्य का दिल नहीं बहला सकते है।
वे आज महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवसरण में श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोबाईल से सारी दुनिया कनेक्ट हैं बस अपनों से डिस्कनेक्ट हो गए है। अपनों से बात करने का समय नहीं हैं। इस मोबाईल से फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं। मोबाईल ने आपके बच्चों को आपसे दूर कर दिया हैं और आपको भी बच्चों से दूर कर दिया है। इस मोबाईल ने झूठ बोलना सीखा दिया है।
आचार्यश्री ने कहा कि भगवान का उपदेश सभी मानव जाति के लिए आज भी उतना ही सार्थक है जितना ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व था। सत्य की खोज के लिये बाहर भटकनें की आवश्यकता नहीं है उसे शरीर के भीतर खोजंे क्योंकि वह वहीं मौजूद है। उसे प्राप्त करने के लिये सिर्फ पुरूषार्थ करना होगा। सत्य एक दिन में नहीं मिलता है किन्तु कठिन पुरूषार्थ और पराक्रम से अवश्य मिलता है।
उन्हांेंने कहा कि केवलज्ञानी भगवान तीनों लोक को एक साथ देखते और जानते हैं। सभी भव्य जीवों के कल्याण के लिए उपदेश देते हैं अनंत करूणा के सागर भगवान सभी जीवों का मंगल चाहता है। प्रभु ने जो पाया वह उनका अपना पुरूषार्थ था। हमको भी सच जानने के लिये अपना पराक्रम पुरूषार्थ करना होगा। इसके लिये अपने अहं को दूर रखना होगा अहंकार आपको सत्य से दूर लेकर जाता है।
आचार्यश्री ने कहा कि सत्य व सब प्राणियों के प्रति मैत्री के भाव पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु के जीवों के प्रति मैत्री का भाव आपको हिंसा से बचाता है।
केवल ज्ञान होने के बाद भगवान महावीर स्वामी जी को उपदेश देने की कोई जरूरत नहीं थी उनका तो मोक्ष जाना निश्चित है पिफर भी करूणा वश सभी जीवों के कल्याण के लिए भगवान उपदेश देते हैं, समवसरण की रचना करते है। तुम भी किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सको। यह भी करूणा है।
मिट्टी का यह शरीर है, मिट्टी में मिल जाना है। रोज लाखों लोग जन्म लेते है और लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त होते है। दुनिया उसी को याद करती है जिसने अपने जीवन में किसी का भला किया है। किसी रोते हुए को हंसाया है।