उदयपुर। ऑर्गन शेयरिंग के नोडल ऑफिसर डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि आज भी लोगों में बड़ी भ्रांति व मानसिकता यह है कि अंग दे दिए तो अगले जन्म में बिना अंगों के पैदा होंगे। गलत धारणाओं के कारण ही अंगदान में वृद्धि नही हो पा रही है ।
वे आज इटर्नल अस्पताल जयपुर, राजस्थान नेटवर्क फॉर ऑर्गनशेयरिंग (आरनोस) व मोहन फाउंडेशन की ओर से गवर्नमेंट मेडीकल कॉलेज, उदयपुर के आरएनटी मेडिकल काॅलेज के एनएलटी सभागार में आयोजित ऑर्गन डोनेशन सेमीनार में बोल रहे थे।
इटर्नल अस्पताल जयपुर कार्डियक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. अजीत बाना ने डोनर की डेमोग्राफिक, डोनर मैनेजमेंट और ऑप्टिमाइजेशन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एक देह से आठ लोगों को जीवनदान मिल सकता है। आरएनटी मेडिकल काॅलेज के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी. पी. सिंह ने कहा कि जल्दी ही अंगदान को प्रमोट करने के लिए आरएनटी मेडिकल काॅलेज अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है।
डॉ. अजीत बाना, डॉ. वृजेश शाह, डॉ. मनीष शर्मा, इटर्नल हॉस्पिटल के सी. ओ. ओ. डॉ. तेजकुमार शर्मा, मार्केटिंग हैड नितेश तिवारी, विक्रांत शर्मा, संजीव जाजोरिया व बड़ी संख्या में चिकित्सक मौजूद थे। विशिष्ट अतिथि में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के अमिताभ गुप्ता भी मौजूद थे
ब्रेन स्टेम डेथ और कोमा में अंतर-ब्रेन स्टेम डेथ आमतौर पर दुर्घटनाओं के मामले से जुडे़ होते है। इसकी जांच के लिए छह टेस्ट और एक एपनिया टेस्ट होता है। यह दोनों टेस्ट पॉजिटिव आते है, तो इन्ही टेस्ट को छह घंटो के बाद दुबारा किया जाता है। इसमें भी वही परिणाम पाए जाते है तो व्यक्ति मृत होता है। ब्रेन स्टेम डेथ के मरीज को लोग कोमा में समझते है जबकि कोमा और ब्रेन स्टेम डेथ में बहुत अंतर है। ब्रेन स्टेम डेथ घोषित करने के लिए न्यूरोसर्जन, एनेस्थीसिएटिक व न्यूरो फिजिशियन की टीम होती है ।