उदयपुर। श्रमणसंघीय आचार्य डाॅ.शिवमुनि महाराज ने कहा कि इस विश्व रंगमंच पर न जाने कितने ही जीव आपनी-अपनी लीला दिखाने आते है और आकर चले जाते है। इस विश्व वाटिका में कितने सुमन खिलते है और मुर्छा जाते हैं। गगन के आँगन में कितने तारे चमचमाते हुए उदय होते है और अस्त हो जाते है।
ऐसे ही इस धरातल पर मानव रूप में अनेकों आत्माएं अवतरित होती है और चली जाती है, किन्तु कुछ आत्माएं प्रवर्तक रूपमुनि महाराज जैसे शरीर में भी जन्म लेती है तो अपनी विशेषताओं और आदर्शो से तथा अपने जनहितका कार्यो से मानव संसार को चमत्कृत कर देती है।
वे आज शिवाचार्य समवसरण में श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका नाम एवं जीवन युगयुगान्तर तक मानव जाति को ज्ञान का आलोक देता रहेगा, जिनकी यश कीर्ति से समस्त दिशाएं आलोकित हुई और होगी। उनके अवतरण से पृथ्वी का कण-कण पवित्र हो जाता है। आचार्य सम्राट आनंद ऋषि म.सा भी एक चमकते सितारे थे।
उन्होंने कहा कि दया के देवता, करूणा के सागर और जन-जन के लोकप्रिय अहिंसा दिवाकर, शेरे राजस्थान, लोकमान्य संत, वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि म.सा. के रूप में सदियों में कभी ऐसी विरल विभूति धरती पर अवतरित होती है। वे तप-जप साधना के बल पर आत्म कल्याण के साथ-साथ मानवता के उत्थान के लिए सारा जीवन पुरूषार्थ करते रहे।
श्रमण संघ के विकास उत्थान में उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कई बार आपके दर्शन और सान्निध्य में रहने का अवसर मिला, आपका और मेरा विश्राम पिता-पुत्र की भांति था। अभी 2 वर्ष पूर्व नाडोल में उनसे मिलन हुआ। उनकी उदारता के अनेक उदाहरण देखने को मिलते है। आपका विराट व्यक्तित्व आकाश से भी ऊँचा और सागर से भी गहरा था। दया, करूणा और मानव जाति के कल्याण के लिए आपने जो कार्य किए है वह युगों-युगों तक याद किए जायेंगे। उन्होंने 200 से अधिक गौशाला, स्कूल आदि खोले हैं।
ऐसे दिव्य व्यक्तित्व के धनी शेरे राजस्थान रूपचंद म.सा. के देवलोकगमन से श्रमण संघ और जिनशासन का एक दिव्य सितारा अस्त हो गया है। वह महामुनि हमेशा के लिए मौन हो गए। 36 कौम जिनको भगवान की तरह पूजा करती थी। अब उनकी वाणी हमेशा के लिए मौन हो गई। समस्त जैन समाज हमेशा आपका ऋणी रहेगा। उनकी वाणी की गुंज लोगों के दिलो-दिमाग पर सदियों तक छाई रहेगी। उनकी शिक्षाएं अमर हैं। उनके संयम-साधना की महक धरती के कण-कण से आती रहेगी। आपके उपकार और अहसान दुनियां भुला ना सकेगी।