तेरापंथ भवन में महापर्व पर्युषण आरम्भ, निराहार रहकर मनाया खाद्य संयम दिवस
उदयपुर। शासन श्री साध्वी गुणमाला ने कहा कि परि यानी उपासना। वर्ष भर भले ही किसी के साथ रहें लेकिन ये आठ दिन आत्मा के पास बैठकर उपासना करता है जिससे उसे परम सुख मिलता है। कम से कम 8 दिन अनंत आनंद, अनंत ज्ञान की प्राप्ति करें।
वे शुक्रवार को अणुव्रत चैक स्थित तेरापंथ भवन में पर्वाधिराज पर्युषण के पहले दिन खाद्य संयम दिवस पर धर्मसभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि संयम से खाना चाहिए असंयम से नहीं। भूख नहीं लगना एक बीमारी है तथा भूख अधिक लगे तो भी बीमारी है। नींद उड़ाने के लिए साधना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर आत्मा ही परमात्मा है। हर आत्मा में विकास की संभावना है। भगवान महावीर ने अपने अपने कर्मों के अनुसार श्रेणियां निर्धारित की। विकास की अनंत संभावनाएं हैं। आंतरिक जीवन को बदलें, कषायों-विकारों का हल्कापन लाएं। इस बदलाव को अपने जीवन में उतारें। अपनी जीवनधारा को इन आठ दिनों में बदलने का प्रयास करें। इन दिनों में नौ द्रव्यों से अधिक काम में नहीं लें।
ऐतिहासिक रूप से मूल संवत्सरी एक दिन आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन मनाई जाती थी या फिर पर्व तिथि जो आये। अगर कोई व्यवस्था नहीं हो तो भाद्र शुक्ल पंचमी को मनाई जाए। इससे देर नहीं कि जाए। आठ दिन का महोत्सव मनाने की परंपरा है। आठ दिन में अलग कर्मों का स्वाध्याय किया जाता है। इसी तरह आठ सिद्धि आती है। इनकी भी साधना अलग अलग दिन की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज विकार दिन ब दिन बढ़ रहे हैं। साध्वी श्री लक्ष्यप्रभा, साध्वी प्रेक्षाप्रभा ने भी खाद्य संयम पर विचार व्यक्त किए। सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए जिनके साध्वी श्री ने प्रत्याख्यान कराए। पर्वाधिराज पर्युषण के पहले दिन अर्हम अर्हम ध्याएँ… गीत से साध्वी श्री ने आगाज किया। महिला मंडल की सदस्याओं ने मंगलाचरण किया।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि पर्युषण के इन आठ दिनों में प्रतिदिन सुबह 9.30 से 11 बजे तक प्रवचन होंगे। तीन सामायिक, दो घंटे मौन, स्वाध्याय आदि की भी नियमित साधना होगी।