उदयपुर। युवा प्रवचनकार मुनिश्री शास्त्रतिलक विजय महाराज ने कहा कि जैन धर्म का पर्व मनाने का तरीका भोग नहीं है, त्याग है और इसीलिए पर्व के दिन जैन पौशध (800 दिन के लिए संसार त्याग की तालीम) करते हैं।
वे आज श्री जैन श्वेताम्बर मूूर्तिपूजक जिनालय संघ की ओर से हिरणमगरी से. 4 स्थित शंाति सोमचन्द्र सूरीश्वर आराधना भवन में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जैन धर्म कहता है कि सुख भोग में नहीं त्याग में है क्योंकि हम जितने भोग करेंगे उतने भोगों के गुलाम बनते जाऐंगे और समझदार आदमी गुलामी में सुख नहीं मानता है। इसीलिए जैन कुल में आए हुए बालक का बचपन से तयाग सिखाया जाता है, कि ले बेटा! यह रुपये भगवान के भंडार में रख दें, यह भोजन साधु भगवंत को बघेरा दे, यह रुपयें गरीब को दे दे’’ ऐसे बचपन से जहाँ त्याग सिखाया जाता है वो है जैन कुल। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जिनालय समिति सेक्टर-4 के अध्यक्ष सुशील कुमार बांठिया ने कल्पसूत्र बोहराने का लाभ लिया।