भगवान महावीर जन्मकल्याणक पर दी बधाई
उदयपुर। श्रमणसंघीय आचार्य शिवमुनि ने कहा कि अगर आप शरीर की सुनते हैं, काम वासनाओं में उलझे रहोगे तो संसार लम्बा होता चला जाएगा और यदि आप आत्मा में रहोगे, उसे जानोगे और उसकी साधना करोगे तो संसार स्वतः ही छोटा हो जाएगा। मनुष्य स्वयं की अज्ञानता और अहंकार के कारण ही संसार सागर में भटकता है। अगर उसमें आत्म ज्ञान आ जाए और अहंकार को त्याग दंे तो उसके जीवन का कल्याण हो सकता है। आज भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया गया।
वे महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवशरण में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयं के मन, बुद्धि पर कभी भी विश्वास मत करना क्योंकि दोनों का स्वभाव चंचल होता है। यह तो हर पल बदलते रहते, इनमें स्थिरता का अभाव है। इनके भरोसे कोई भी काम सफल हो जाए यह जरूरी नहीं है। स्थिर है तो वह है सिर्फ हमारी आत्मा। आत्मा में अनन्त सुख है। आत्मा को जानो। आत्मा को जानने समझने के लिए हमें भीतर तक की यात्रा करनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि आत्मा को समझने के लिए आचरण और ज्ञान का होना जरूरी है। जिसका आचरण शुद्ध होगा उसकी आत्मा भी शुद्ध होगी। शरीर और आत्मा को कभी भी एक करके मत देखो। आत्मा तो अजर अमर है लेकिन शरीर नश्वर है। जिस दिन शरीर से आत्मा निकल गई शरीर का कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा। भीतर अगर विवेक आ गया तो संसार सागर से तिर जाओगे। इसलिए आत्मज्ञानी बनो आत्मा के साधक बनो।
आचार्यश्री ने कहा कि समस्त अरिहन्तों ने अपनी साधना का आरम्भ आत्मा से ही किया था। सभी के मोक्ष का मार्ग आत्मा से ही निकला है। बिना आत्मा को जानंे और समझे आप कितनी ही साधना कर लो, तप तपस्याएं कर लो कुछ नहीं होगा जब तक कि आप आत्म तत्व को नहीं पहचानोगे। आत्मा से कृतज्ञता का भाव रखो। आप चाहें तो संसार को छोटा भी कर सकते हैं और आप चाहो संसार को बड़ा भी कर सकते हो।
नाम झूठा है, रिश्ते-नाते सब झूठे हैं, यह शरीर झूठा है, संसार भी झूठा है अगर सच्ची है तो सिर्फ आत्मा। इसलिए आत्म साधना करो और स्वयं को मोक्ष मार्ग की और अग्रसर करो।
युवाचार्यश्री महेन्द्र ऋषि ने कहा कि परमात्मा के प्रति प्रेम भाव होगा तब ही परमात्मा आपके निकट होगा। एक दीपक के पास दूसरा दीपक ले जाओगे, उसकी लौ से लौ मिलेगी तो दूसरा दीपक भी प्रकाशमान हो जाएगा। उसी तरह से आत्मा को परमात्मा के निकट ले जाएंगे तो वह भी परमात्मा बन जाएगा। परमात्मा हर जगह विद्यमान है, उसकी दृष्टि चारों ओर रहती है, परमात्मा स्वयं के भीतर ही रहता है। जरूरत है आत्मध्यान और आत्मसाधना से उसे पहचानने की, उसे प्राप्त करने की। इसलिए प्रभु से प्रेम करो, प्रेम पूर्वक उसकी भक्ति साधना करो प्रभु आपके निकट जरूर होंगे।
धर्मसभा में विभिन्न महिला मण्डलों ने पर्वाधिराज पर्यूषण दिवस के उपलक्ष में भजनों की प्रस्तुति देकर धर्मसभा में भक्ति रस घोल दिया। प्रकाशचन्द्र मेहता,प्रमिला मेहता के 11-11 उपवास करने पर सम्मानित किया गया।
श्राविका संघ की संरक्षिका एवं पूर्व महापौर रजनी डांगी ने बताया कि आचार्यश्री के सानिध्य में पयुर्षण पर्व के 6ठें दिन महावीर भगवान का जन्मकल्याणक महोत्सव हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया गया। भजन गाये गये। भगवान को झूले में झुलाया गया। एक-दूसरे को बधाईयंा दी गई। इस अवसर पर मधु बडाला, पिंकी माण्डावत,सुमित्रा सिंघवी, ज्योति सिंघवी, निधि मुणोत सहित अनेक सदस्याओं ने जन्मोत्सव आयोजन में सहयोग दिया। संयोजिका संतोष मेहता व सह संयोजिका ममता रांका ने बताया कि आज सिद्ध भगवान पर प्रश्नमंच का आयोजन किया गया। जिसमें श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।