सुबह तेरापंथ भवन में की सामूहिक खमतखामणा
उदयपुर। शासन श्री साध्वी गुणमाला ने कहा कि क्षमापना का अर्थ ही अपने आप में सम्पूर्ण है। इसमें क्ष यानी क्षति हुई हो तो, मा यानी मुझे माफ करना, प यानी पश्चाताप करना और ना यानी नहीं करुंगा। आज का दिन ही क्षमा मांगने का है। वर्ष भर में अपनी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए सम्पूर्ण जगत के जीवों से क्षमा मांगनी चाहिए।
वे शनिवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में मैत्री दिवस (खमतखामणा) पर धर्मसभा को संबोधित कर रही थी।
उन्होंने आचार्य श्री महाश्रमण, साध्वी प्रमुखा से क्षमा याचना करते हुए कहा कि कल हमने संवत्सरी पर्व मनाया। जिस तरह दही को मथने से मक्खन निकलता है ठीक उसी तरह संवत्सरी मन को मथने का दिन होता है। क्षमायाचना करें। क्षमा सिर्फ मांगें नहीं, बल्कि करें भी। सिर्फ उपरी मन से हाथ मिलाने, गले मिलने से क्षमा नहीं होती बल्कि अपना अहं भाव छोड़ें। अकड़े रहेंगे तो कुछ नहीं हो पाएगा। भीतर का रोष आज निकाल दें।
साध्वी श्री लक्ष्यप्रभा, साध्वी प्रेक्षाप्रभा और साध्वी नव्यप्रभा ने कहा कि खमतखामणा से दिल के भीतर का अंत:करण विशाल होता है। रुमाल में गांठें लग जाए तो वह कितना छोटा हो जाता है ठीक उसी प्रकार अगर रुमाल से गांठें खोल दी जाए तो वह कितना बड़ा हो जाता है। ठीक उसी तरह अपने मन की गांठें भी खोल दें, फिर देखें वह कितना बड़ा बन जाएगा। गुरु से बड़ा कोई नहीं होता। आचार्य महाश्रमण अपने अनुषंगी साधु-साध्वियों का बहुत ध्यान रखते हैं। वे काफी चिंता करते हैं। जब वे इतना महत्व देते हैं तो खमतखामणा स्वत: हो जाती है। सम्पूर्ण जीवों के प्रति अंत:करण में मैत्री भाव छलछला रहा है। जन्म-जन्मांतर में न जाने कितनों से सम्बन्ध हुआ है।
सभा अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने आचार्य, साध्वीप्रमुखा सहित अन्य साधु संतों यहां विराजित साध्वीवृन्द सहित समाजजनों से क्षमापना करते हुए बताया कि समारोह में महासभा के कार्यसमिति सदस्य धीरेंद्र मेहता, जैन तेरापंथी मेवाड़ कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, मुख्य परामर्शक छगनलाल बोहरा, ज्ञानशाला निदेशक फतहलाल जैन, अणुव्रत समिति के संयोजक गणेश डागलिया, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष चंद्रेश बापना, महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी कोठारी, तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया ने भी सामूहिक क्षमापना की। आभार पूर्व मंत्री राजेन्द्र बाबेल ने व्यक्त किया।