पेसिफिक विष्वविद्यालय एवं इंडियन केमिकल सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिको व शोधार्थियों के सानिध्य में आधुनिक समय में राष्ट्रीय व वैष्विक चुनौतियों मे रसायन विज्ञान की भूमिका तथा पर्यावरण प्रदूषण, ईंधन, हरित रसायन, नैनो केमेस्ट्री के अनुप्रयोगों आदि विषयों पर गहन चर्चा की गई।
कार्यक्रम में मौखिक शोध-पत्रो का प्रस्तुतिकरण दिया गया, जिसमें भारत के सभी राज्यों से लगभग 18 पत्र वाचन, विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किए गए। मौखिक व्याख्यान में वरिष्ठ वैज्ञानिक श्रेणी में दीप कुमार जोशी व ज्ञानश्री वोरा व युवा वैज्ञानिक श्रेणी में प्रणव पण्ड्या व पारस कुमार पटेल को पुरस्कृत किया गया तथा पोस्टर प्रतियोगिता में भूपत सिंह दशरथ सिंह विहोल, जयेष भट्ट, रूकसार बानु व कहकषंा अंसारी को यंग सांइटिस्ट अवार्ड व भाविन रमेष भाई पटेल, नितीन गुप्ता, प्रीतिस्मिता पटेल व शिल्पा नवीनचन्द्र पंड्या को सीनियर साइंटिस्ट अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। प्रो. बीडी राॅय, प्रो. रामेश्वर आमेटा, प्रो. सुरेश चन्द्र आमेटा, प्रो. डीसी मुखर्जी, प्रो. चितरंजन सिन्हा, प्रो. हेमन्त कोठारी एवं प्रो. गजेन्द्र पुरोहित ने सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया।
संगोष्ठी के अंतिम दिन देष-विदेष के ख्यातिमान वैज्ञानिको के आमंत्रित व्याख्यानो का आयोजन किया गया। जिसमें जापान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. काजीहुरो मारूमोटो के वीडियो द्वारा कार्बनिक व परवोस्काइट पोलीमर, सोलर सैल के इ.एस.आर, स्पेक्ट्रोस्कोपी अध्ययन पर व्याख्यान प्रस्तुत हुआ। प्रो. मारूमोटो ने सोलर सैल की इलेक्ट्रोनिक अवस्था, यौगिक के ऊर्जा स्तर व तत्वों के ऊर्जा स्तर के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। अहमदाबाद युनिवर्सिटी के डा. धर्मेश वर्डे ने नैनो धात्विक कणों के रसायन पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होने अकार्बनिक यौगिकों, मिट्टी व हल्के रसायनिक खनिजों के बारे में बताया। इन्होंने नैनो कणों का अध्ययन किया व मिट्टी की बनावट के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इससे भविष्य में कई नए कार्यात्मक उत्प्रेरकों का विकास किया जा सकेगा।
राजस्थान विद्यापीठ के डाॅ रक्षित आमेटा ने हरित रसायन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण एवं ऊर्जा संकट समाधान के उपाय बताए। इसी के साथ डा.ॅ आमेटा ने ठोस अवस्था अभिक्रिया, प्रावस्था स्थानान्तरण, उत्प्रेरक व आॅक्सीकरण अवस्था के बारे में भी विस्तार पूर्वक अपने विचार रखें।पेसिफिक विष्वविद्यालय की डाॅ. महिमा बिड़ला ने ठोस अवषिष्ट प्रंबधन पर अपना शोध आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. महिमा का व्याख्यान मुख्यतः आम जन मानस को अपनी सोच का दायरा बदलना होगा व कार्बनिक अकार्बनिक अवषिष्ट को अलग- अलग कर, उसके निस्तारण मे मदद करनी होगी पर आधारित था। इन विविध व्याख्यान सत्रों के अध्यक्षता क्रमषः प्रो. के. आर. देसाई, डाॅ. नीलू चैहान, प्रो. बी.टी. ठाकर, प्रो. संगीता शर्मा एवं प्रो. पी.बी.पंजाबी ने की ।
कार्यक्रम के अगले क्रम में अपरान्हृ सत्र में श्रसायन विज्ञान की षिक्षा में वर्तमान स्थिति एवं चुनौतियांश् विषय पर विचार – मंथन (ब्रेन-स्टार्मिग) सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें उच्च षिक्षण संस्थाओं में रसायन विज्ञान की गुणवत्ता- पूर्ण षिक्षा का प्रंबधन करने के प्रयासों पर विचार विमर्ष किया। इसके अन्तर्गत षिक्षा के साथ शोध की गुणवत्ता बढ़ाने एवं उच्च षिक्षण संस्थानो का औघौगिक एवं तकनीकी संस्थानों के साथ समन्वय करने की दिषा में विमर्ष किया गया। साथ ही, रसायन विज्ञान के पाठ्यक्रम, परीक्षा प्रणाली, अध्यापन -अधिगम (टीचींग -लर्निंग) में नवाचार, गुणवता युक्त षिक्षक, शोध – पत्रों का प्रकाषन, सी. बी. सी.एस. सिस्टम,सेमेस्टर प्रणाली, पी.एच. डी, नेट परीक्षा , ए.पी.आई स्कोर आदि बिन्दुओं पर गहन चिंतन -मनन किया। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी शोध कार्य के लिए प्ररित हो कर गुणवत्ता – युक्त शोध पत्रों के प्रकाषन तथा नवीन द्रव्यों के निर्माण – संष्लेषण आदि कार्यो से पेटेन्ट प्राप्त कर अपनी प्रतिभा को अन्वेषित कर सकेगी तथा नवीन पद्वति का उपयोग करते हुए अध्ययन व अध्यापन को सुरूचिपूर्ण बनाने पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के अतिंम चरण में विदाई समारोह व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें सभी प्रतिभागियों को प्रमाण -पत्र प्रदान किए गए। मुख्य अतिथियों को स्मृति- चिन्ह प्रदान किए गए। अंत में प्रो. आमेटा व प्रो. हेमन्त कोठारी ने पधारे हुए समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया।