विभिन्न राज्यों के कलाकार-शिल्पकार करेंगे अपनी कला का प्रदर्शन
उदयपुर। ग्राम्य जनजीवन और लोक कलाओं को जनता के मध्य लाने, पारंपरिक शिल्प कला एवं लोक कलाओं के प्रोत्साहन के उद्देश्य से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र 21 से 30 दिसम्बर तक उदयपुर के शिल्पग्राम में राष्ट्रीय हस्त शिल्प एवं लोक कला उत्सव ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ का आयोजन करेगा जिसमें 19 राज्यों के 700 लोक कलाकार व 21 राज्यों के 800 शिल्पकार भाग लेंगे। उत्सव का उद्घाटन राज्यपाल कल्याण सिंह द्वारा 21 दिसम्बर को किया जायेगा।
केन्द्र निदेशक श्री फुरकरन ख़ान ने सोमवार को शिल्पग्राम के कला विहार में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेन्स में बताया कि देश के विभिन्न अंचलों में शिल्प सृजन करने वाले शिल्पकारों को शिल्प कला का प्रदर्शन करने तथा कलात्मक उत्पादों के लिये बिना मध्यस्थ के बाजार उपलब्ध करवाने के ध्येय एवं लोक कलाकारों को कला प्रदर्शन का अवसर उपलब्ध करवाने के लिये केन्द्र द्वारा हर वर्ष इस उत्सव का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, विकास आयुक्त हथकरघा, नई दिल्ली, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड, ट्राइफेड तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के एक हजार से ज्यादा लोक कलाकार व शिल्पकार तथा व्यंजन के शिल्पी भाग लेंगे।
11 बजे से प्रारंभ होगा हाट बाजार
उन्होंने बताया कि उत्सव के दौरान प्रतिदिन सुबह 11 बजे हाट बाजार प्रारम्भ होगा जहा शिल्पकार कलात्मक वस्तुओं के प्रदर्शन के साथ-साथ उसका बेचान भी करेंगे। हाट बाजार में ही लोक कलाकारों द्वारा विभन्न थड़ों पर कला प्रस्तुतियाँ दी जाएगी। उन्होंने बताया कि उत्सव में 22 से 28 दिसम्बर तक रोजाना दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक बंजारा रंगमंच पर ‘‘हिवड़ा री हूक-यानि दिल चाहता है..’’ में आगंतुकों को कला प्रदर्शन के लिये मंच उपलब्ध करवाया जायेगा। इसी मंच पर सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी किया जायेगा। उत्सव में रोजाना शाम 6 बजे से मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा।
दिखेगा विभिन्न राज्यों का संस्कृति का मिला-जुला समन्वय
केन्द्र निदेशक श्री खान ने बताया कि उत्सव में राजस्थान से लंगा गायक, मांगणियार गायक, सहरिया स्वांग, हास्य नाटिका, कालबेलिया, मयूर, भपंग, गुजरात से ढाल तलवार, राठवा, सिद्दी धमाल, डांग, महाराष्ट्र से लावणी, धनगरी गजा, रोप मलखम्भ, गोवा से घोड़े मोडनी, समई, देखणी, पश्चिम बंगाल से बाउल गायन, नटुवा, पुरूलिया छाऊ, आॅडीशा से गोटीपुवा, संबलपुरी, पाईका, मणिपुर से पुंग चोलम, लाय हरोबा, थांग-ता, स्टिक परफोरमेन्स, घूमर (हरियाणा), होजागिरी (त्रिपुरा), पंच वाद्यम (केरल), तमांग सेलो (सिक्किम), बधाई (मध्य प्रदेश), गोंड मारिया (छत्तीसगढ़), डेडिया (उत्तर प्रदेश), रौफ (जम्मू व कश्मीर), भांगड़ा (पंजाब), बिहू (असम), पूजा कुनीथा (कर्नाटक), कावड़ी कड़गम (तमिलनाडु) को आमंत्रित किया गया है।
लुभाएंगे शिल्प उत्पाद
शिल्प कलाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि हाट बाजार में आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, जम्मू व कश्मीर, मध्य प्रदेश, आॅडीशा, पुद्दुचेरी, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गोवा तथा देश के पूर्वोत्तर राज्यों शिल्पकारों की बनाई कलात्मक वस्तुएँ खरीदने का मौका मिलेगा। श्री खान ने बताया कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से 21 से 30 दिसम्बर तक आयोजित राष्ट्रीय हस्त शिल्प एवं लोक कला उत्सव ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में नवाचार के साथ प्रमुख आकर्षण दर्शकों को खासा प्रभावित करेंगे।
पंच वाद्यम्
पंच वाद्यम केरल के विशिष्ट ऑर्केस्ट्रा हैं। इसमें पांच वाद्य यंत्र कोम्बु, इडक्का, थिमिला, इलाथलम और मद्दलम् होते हैं। पंच वाद्यम मंदिर, त्यौहारों जैसे पूरम्, वेला इत्यादि के दौरान बजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस कला का प्रादुर्भाव एरानाकुलम में हुआ था। राममंगलम, पेरुंबल्ली, किजिलम, चट्टानिककारा, चेरनेलूर, कलादी, नायथुडू, चेंग्मानाद जैसे स्थानों में बहुत से थिमिला कलाकार थे, बाद में, इसका प्रचलन त्रिशूर और पलक्कड़ जिलों तक बढ़ गया। परंपरागत रूप से इसमें पांच उपकरण जैसे चेन्डा, कुरुमकुजल, थिमिला, इडक्का, डमनम् वाद्यों का वादन होता है।
गांधी शिल्प बाजार : हमारा देश भारत इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 जयन्ती वर्ष के रूप में मना रहा है। इसके अंतर्गत देश भर में विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। केन्द्र द्वारा शिल्पग्राम उत्सव में ‘‘गांधी शिल्प बाजार’’ का आयोजन किया जायेगा। जिसमें ग्राम्यांचल के शिल्पकार अपनी कलात्मक वस्तुओं का प्रदर्शन और बेचान कर सकेंगे।
कला प्रदर्शनी : शिल्पग्राम के संगम सभागार में केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यशालाओं में देश के जाने-माने तथा नवोदित चित्रकारों द्वारा सृजित चित्र प्रदर्शित किये जाएंगे। जैसा कि सर्व विदित है इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जन्मशती मनाई जा रही है। इस क्रम में प्रदर्शनी में गुजरात तथा जयपुर में आयोजित चित्र प्रदर्शनी में महात्मा गांधी को एक कलाकार की दृष्टि से देखने का अवसर मिल सकेगा। केन्द्र द्वारा शिल्पग्राम उत्सव के दौरान दो वर्ष पूर्व दर्शकों व आगंतुकों के लिये एक नये कार्यक्रम ‘‘हिवड़ा री हूक यानि दिल चाहता है…’’ की शुरूआत की गई थी। इस आयोजन में आगंतुक अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते हैं। शिल्पग्राम उत्सव-2017 में 22 से 28 दिसम्बर को मध्यान्ह 12 बजे से सायं 4 बजे इसका आयोजन बंजारा मंच पर किया जायेगा।
शिल्पग्राम उत्सव के दौरान 22 से 28 दिसम्बर 2017 तक मध्यान्ह 12.00 बजे से 4.00 बजे तक ‘‘सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी’’ का आयोजन बंजारा मंच पर होगा। इसके अंतर्गत आगंतुकों से देश की कला एवं संस्कृति पर आधारित प्रश्न पूछे जायेंगे तथा सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी को पुरस्कृत किया जायेगा। शिल्पग्राम उत्सव के दौरान आगंतुकों के साथ आने वाले बालकों के मनोरंजन तथा उनमें कला का गुण विकसित करने के लिये ‘‘बाल संसार’’ के अंतर्गत शिल्प कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। इसके अंतर्गत बालकों को पेपर क्राफ्ट, जादू कला तथा कपड़े से खिलौने बनाने की कला का प्रशिक्षण दिया जायेगा। श्री फुरकान ख़ान ने बताया कि उत्सव के पहले दिन 21 दिसम्बर को दोपहर 3.00 बजे बाद लोगों के लिये प्रवेश निःशुल्क होगा। परिवहन विभाग द्वारा शहर से शिल्पग्राम हेतु आवागमन के लिये विभिन्न रूटों पर परमिट जारी किया जा रहा हैं।