उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में बुधवार का दिन शिल्पकारों के लिये अनुकूल रहा तथा शहरवासियों, सैलानियों ने दिनभर हाट बाजार में खरीददारी की वहीं शाम को खुले रंगमंच पर लोक प्रस्तुतियों का आनन्द उठाया जिसमें मणिपुर की कलाओं पुंग चोलम तथा चरोल जगोई तथा गुजरात के डांग कलाकारों ने अपनी-अपनी संस्कृति के रंग बिखेरे।
लोक कला और शिल्प परंपरा के प्रोत्साहन के ध्येय से आयोजित इस दस दिवसीय उत्सव के छठे दिन हाट बाजार अपनी पूरी रंगत पर रहा। शिल्पग्राम उत्सव की दस दिवसीय अवधि के आधे से ज्यादा हो जाने पर लोगों ने हाट बाजार की सुध ली तथा दाकपहर में बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम आये। शिल्पग्राम के गांधी शिल्प बाजार के वस्त्र संसार, दर्पण बाजार, विविधा, अलंकरण, उत्कृष्ट, धातु धाम, मृणकुंज में देर शाम तक कलात्मक वस्तुएँ खरीदने वालों की खासी रौनक रही।
हाट बाजार में ज्यादातर लोगों की रूचि घर की सजावटी वस्तुओं तथा परिधानोें पर रही। रंगमंच के पास सहारनपुर फर्नीचर, वूलन कारपेट, कच्छ की कशीदाकारी से सजे वाॅल हैंगिंग्स, काॅटन दरियां, पंजा दरी, काँच के झूमर, तोरण, मिट्टी की वाटर बाॅटल, जादुई दीपक, मिनी वाॅटर पाॅण्ड, फ्लाॅवर पाॅट्स, गणेश जी की मूर्तियाँ, मिट्टी के विंड चाइन, घंटियाँ, जूट की सजावटी वस्तुएँ, समुद्री सीप के बने लैम्प्स, पाॅट्स आदि की दुकानों पर खरीददारों की काफी भीड़ देखी गई।
हाट बाजार में ही लोगों को विभिन्न खान-पान की वस्तुओं के चटखारे लेते हुए देखा गया जिसमें दाबेली, अमरीकन भुट्टे, भेल, मक्की बाजरे की रोटी, दाल बाटी चूरमा, आलू के बने व्यंजन, मक्खन, हरियाणा का जलेबा, दूध फीणी, दूध जलेबी आदि उल्लेखनीय हैं।
शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर राजस्थान के मांगणियार लोक गायकों ने अपने गीतों से माहौल को अलमस्त बना दिया। मणिपुर की चरोल जगोई कला दर्शकों के लिये रोमांचकारी रही जिसमें ढोल की थाप पर दो युगल कलाकारों ने लकड़ी की स्टिक को बखूबी संतुलित कर दर्शकों पर छाप छोड़ी। इन्होंने हाथ, पैर, कंधों पर लकड़ी को संतुलित किया वहीं लकड़ी को पंखे की तरह घुमा दर्शकों की वाहवाही लूटी।
मणिपुर की कला ‘‘पुंग चोलम’’ दर्शकों के लिये लुभावनी प्रस्तुति रही। पारपंरिक वस्त्रों में सुसज्जित कलाकारों ने एक साथ पुंग वाद्य का वादन कर उसमें विभिन्न प्रकार की लयकारी को श्रेष्ठ और संयोजित ढंग से प्रस्तुत की कला प्रेमियों का मन जीत लिया। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल का पुरूलिया छाऊ की जोश पूर्ण प्रस्तुति दर्शकों को खूब भाई। चमकीले परिधान में मुँह पर देवी देवताओं के मुखौटे धारण कर कलाकारों ने ‘‘ताड़कासुर वध’’ का प्रसंग दिखाया जिसमें ताड़कासुर और राम के बीच के युद्ध के दृश्य को कलाकारों ने आपसी सामंजस्य से प्रभावी बनाया।
कार्यक्रम में पंजाबी तड़का जहां भांगड़ा नर्तकों ने डाला वहीं गुजरात के डांग आदिवासी कलाकारों ने होली नृत्य से अपनी डांग दरबार की परंपरा को रोचक ढंग से दर्शाया। कार्यक्रम में इसके अलावा संबलपुरी, गोवा का देखणी, झारखण्ड का पाईका, राजस्था की हास्य झलकी, मध्यप्रदेश का बधाई, जम्मू कश्मीर का राॅफ व छत्तीसगढ़ का गौंड मारिया आदि प्रस्तुतियाँ उल्लेखनीय है।