उदयपुर। कोई भी लोकतंत्र तभी सफल हो पाता है, जब उस लोकतंत्र को चलाने वाले लोगों में अपने राज्य की लोकतांत्रिक संस्थाओं और उनकी प्रक्रियाओं की गहरी समझ हो। उक्त विचार जम्मू विश्वविद्यालय के डॉ विजय सहगल ने विद्या भवन रुरल इन्स्टीट्यूट के राजनीति विज्ञान के तत्वावधान में आयोजित पंद्रहवीं युवा संसद में मुख्य निर्णायक के रूप व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए यह जरूरी है कि सभी को लोकतंत्र के सभी पक्षों की जानकारी हो. डॉ वैशाली देवपुरा ने युवा पीढ़ी को नई सदी में भारत की नई पहचान बनाने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से सशक्त रूप से अपनी बात रखने की आवश्यकता पर बल दिया. मुख्य अतिथि विद्या भवन के मुख्य संचालक प्रो. सूरज जेकब ने बताया कि युवा लोग ही भविष्य के कर्णधार है, अतः उन्हें अपने विद्यार्थी जीवन में बारीकी से लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को समझना चाहिए, ताकि भविष्य में एक अच्छा नेतृत्व विकसित हो सके. श्री ज़ायद मोहम्मद ने लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण में युवा पीढ़ी के दायित्वों को बताया. कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्थान निदेशक डॉ टी. पी. शर्मा ने जिम्मेदार नागरिक के निर्माण संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए युवा संसद जैसे आयोजन की महत्ता को रेखांकित किया.
युवा संसद के समन्वयक डॉ बी. मुमीन के अनुसार इस युवा संसद में 40 छात्रों ने भाग लेते हुए संसद में होने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं को सजीवता के साथ प्रस्तुत किया. जिसमें उन्होंने जी. एस. टी., नोटबंदी, कश्मीर, महंगाई, महिला सुरक्षा सहित कई ज्वलंत विषयों को अपने प्रस्तुतीकरण में स्थान दिया. राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज राजगुरु ने बताया कि सैय्यद इब्राहिम, दिव्या सिंह राव, विक्रम, सुमन सारंगदेवोत, कृष्णकांत और भूपेन्द्र को श्रेष्ठ प्रतिभागी के रूप में चयनित किया गया.
इससे पूर्व डॉ मनोज राजगुरु ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्या भवन के योगदान को रेखांकित किया. कार्यक्रम समन्वयक डॉ बी. मुमीन ने युवा संसद की प्रासंगिकता और इसके उद्देश्य बताए. अंत में धन्यवाद डॉ मनोज राजगुरु ने दिया. कार्यक्रम का संचालन मारीया मुमीन ने किया. इस अवसर पर महाविद्यालय के संकाय सदस्यों सहित कई विद्यार्थी उपस्थित थे.