ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन तथा पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में परीक्षा प्रणाली में सुधार करने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई| पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति बी डी रॉय ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मेंबर सेक्रेटरी प्रोफेसर आलोक प्रकाश मित्तल थे| उन्होंने वर्तमान परीक्षा प्रणाली में सुधारों की आवश्यकताओं के बारे में बताया तथा एआईसीटीई एवं भारत सरकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे नवीनीकरण के प्रयासों की जानकारी दी | स्मार्ट-इंडिया हैकाथॉन, हार्डवेयर निर्माण प्रतियोगिता आदि द्वारा विभिन्न प्रकार की सरकारी विभागों की समस्याओं को सुलझाने में विद्यार्थियों की भूमिका की सराहना की| एआईसीटीई के एडवाइजर डॉ. नीरज सक्सेना ने कार्यशाला की रूपरेखा की जानकारी दी और कहा कि केवल स्मरणशक्ति पर आधारित प्रश्न पत्रों को बनाने के बजाय यदि उनमे तर्क-शक्ति, नवीनता, सृजनता तथा रचनात्मकता का भी समावेश किया जाये तो विद्यार्थियों के ज्ञान में बेहतर वृद्धि हो सकती है| केएलई विश्वविद्यालय हुबली (कर्नाटक) के वाइस चांसलर प्रोफेसर अशोक शेट्टार, डॉ. प्रकाश तिवारी तथा डॉ. गोपालकृष्ण जोशी ने बताया कि किसी भी विषय का पाठ्यक्रम निर्धारित करने से पहले उसके इंडस्ट्री में उपयोग तथा उस विषय को पढ़ने पर उस पर आधारित भविष्य में रोजगार की संभावनाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए| परिणाम आधारित उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा के मानदंडों को लागू करने के लिए सभी विश्वविद्यालयों को आगे आने की आवश्यकता पर बल दिया| कार्यक्रम में पूरे देश से आये विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के डीन, डायरेक्टर्स तथा फैकल्टी मेंबर्स सहित 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया| कार्यक्रम में पेसिफिक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार शरद कोठारी , पेसिफिक इस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के निदेशक पीयूष जवेरिया, फार्मेसी कॉलेज के निदेशक डॉ इंद्रजीत सिंघवी की उपस्थिति रही| कार्यशाला का सञ्चालन सिविल संकाय प्रमुख केतकी मूंदड़ा द्वारा किया गया |