व्यापार में असफलता से घबरायें नहीं: यश वसन्त
बीएनआई काॅन्क्लेव में देशभर से 2000 से अधिक व्यापारियों ने जाना कारोबार में ग्रोथ कैसे करें
उदयपुर। बीएनआई की ओर से मादड़ी स्थित यूसीसीआई में आयोजित बिजनेस कोनक्लेव में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये व्यपारियों एवं बीएनआई सदस्यों ने भाग लेकर कारोबार की ग्रोथ को कैसे बढ़़ाया जाय, इस पर जानकारी हासिल की। वक्ताओं ने अपने व्याख्यानों में बिजनेस में नये- नये आइडिया एवं चुनौतियां जिनमें कल आज और कल के बारे में विस्तार से चर्चा की।
इस अवसर पर बीएनआई के एक्ज्यूकिटिव डायरेक्टर अहमदाबाद- बड़ौदा के यश वसन्त ने बिजनेस की कई सक्सेस स्टोरियां सुना कर बिजनेसमैनों को हौंसला दिया। उन्होंने कहा कि बिजनेस में असफलता से कभी घबराना नहीं चाहिये। उन्होंने गुरू और शिष्य की स्टोरी सुनाते हुए कहा कि शिष्य से पूछा कि 5 और 5 कितने होते हैं तो उसने कहा कि नौ। इस पर लोग खूब हंसे और तालियां बजी। जब इस गलत उत्तर पर तालियां बजाने का कारण पूछा तो लोगों ने कहा कि इससे पहले जब इस बच्चे से पूछा कि 5 और 5 कितने होते हैं तो उसने 6 कहा था और आज दुबारा फिर से पूछा तो इसने 9 कहा है यानि यह सफलता की ओर बढ़ रहा है। इसका हौंसला बढ़ाना चाहिये। जब तीसरी बार इसे पूछेंगे तो 5 और 5 यह 10 ही बोलेगा यानि कि ये एक दिन सफल हो ही जाएगा। उन्होंने एक के बाद एक कई छोटी- छोटी सक्सेस स्टोरियां सुना कर बिजनेस मैन सदस्यों को प्रेरणा दी कि बिजनेस में उतार- चढ़ाव तो आते ही है। यह बिजनेस का नियम है। सफलता इसके बाद ही मिलती है। बिजनेसमैन के लिए बीएनआई को उन्होंने सफल प्लेटफार्म बताया।
इस अवसर पर विशेष उद्बोधन देते हुए तेरापंथ धर्म संघ के मुनिश्री सम्बोध कुमार ने व्यापार में नैतिकता व्यावहारिकता पर कहा कि बिजनेस वही सफल है जिसमें नैतिकता और व्यावहारिकता है। बिजनेस दिल में उतर जाने वाला होना चाहिये, दिल से उतर जाने वाला नहीं। बिजसमेन का लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं होना चाहिये। मुनिश्री ने कहा कि पैेसों के साथ ईमानदारी, प्रतिष्ठा, सामाजिक समरसता का भी ध्यान रखना चाहिये। वह बिजनेस और बिजनेसमेन सफल होता है जो दूसरों के चेहरों पर खुशियां ला सके। अपने कामदारों को खुश रख सके ओर उनके सुख-दुख का साथी भी बन सके।
मुख्य वक्ता अनिल सिंघवी ने अच्छे बिजनेस एवं अच्छे बिजसमेन के तौर तरीकों के बारे में व्याख्यान देते हुए कहा कि हमें कल आज ओर कल का खयाल रख कर बिजनेस करना चाहिये। हमारे पहले क्या था, क्या चलता था, आज क्या चल रहा है और कल क्या चलेगा ऐसा सोच कर बिजनेस में कदम बढ़ाने चाहियें। बिजनेस वही सफल है जो आने वाली पीढ़ी के हिसाब से चले। एक सफल बिजनेस मेन बनने का सूत्र भी यही है कि वह वक्त के साथ चले नही ंतो वक्त आपका साथ छोड़ देगा। बिजनेस को कैसे बचाये रखना है इसका खयाल हमेशा दिमाग में होना चाहिये।
उन्होंने बिजमेन को कुछ टिप्स देते हुए कहा कि आप को बिजनेस अच्छा चलाना है तो सबसे पहले आप कस्टमरों को आलसी बना दो। उसे हर सुविधा दे दो। होम डिलीवरी कर दो। उसे जो चाहिये वह आपके पास हर वक्त उपलब्ध रख दो। कस्टमर आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा। दूसरा टिप्स यह बताया कि कस्टमर को आप अपने प्रोडक्ट का आदि बना दो, उसे उसकी लत लगा दो। फिर कीमत आपके ही हाथ में होगी। चाहे वह प्रोडक्ट कितना भी महंगा होगा कस्टमर उसे खरीदेगा ही क्योंकि उसे उसकी लत लग चुकी है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में तीन सी क्रिकेट, दूसरा सिनेमा और तीसरा क्राईम हमेशा बिकते आये हैं और हमेशा बिकते रहेंगे। क्रिकेट का सम्बन्ध खेलों से है। स्पोर्ट्स का बिजनेस हिन्दुस्तान में सुपरहिट है। दूसरा सिनेमा। इसकी लत आम व्यक्ति को लगी हुई है वह सिनेमा देखे बिना नहीं रह सकता है और तीसरा क्राईम यानि दंगा, झगड़ा फसाद। व्यक्ति को हमेशा दूसरों के झगड़े देखने और क्राईम को पढ़ने सुनने में बड़ा मजा आता है।
उन्होंने कहा कि हमेशा नये- नये आइडिया से काम करना चाहये चाहे आइडिया छोटा हो या बड़ा। आज होटल इंडस्ट्री का सबसे बड़ा ग्रुप है योयो। लेकिन मजे की बात है कि उसके खुद की एक भी होटल नहीं है। आज उबर और ओला देश की सबसे बड़ी कार कम्पनियां है लेकिन बाजारों में दोड़ रही कारों में एक भी उनकी नहीं है। क्योंकि उनके पास आइडिया है। बिजनेस में आइडिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
प्रारम्भ में कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत उदबोधन देते हुए बीएनआई के रिजनल डायरेक्टर अनिल छाजेड़ ने देश- विदेश में फैले बीएनआई के बारे में विस्तार से बताते हुए इसकी गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बीएनआई आज के बदलते परिवेश में बिजनेस मेन के लिए अच्छा प्लेट फार्म है। इसमें नये- नये बिजनेस, इन्हें करने के तरीके और उन्हें कैसे किया जा सकता है के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बीएनआई की विश्सनीयता आज देश ही नहीं विदेशों में भी स्थान पा रही है एवं सदस्यों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
बिजनेस में दो प्रकार के लोग होते हैंे। पहले वो जो बिल्डिंग को बनाते हैं ओर दूसरे वो जो बिल्डिंग की डिजाईन और आईडिया देते हैं। दोनों में फर्क ये है कि बनाने वाले कुछ पेसे ही कमा पाते हैं जबकि डिजाईन और आईडिया देने वाले करोड़ों में खेलते हैं। जो बिजनेस सिर्फ पैसा ही देता है वह बिजनेस हो ही नहीं सकता जब तक कि उसमें नैतिकता का स्थान ना हो। जहां दूसरों को खुशी मिले, प्यार मिले, अपनापन मिले और कमजोरों को खुशियां दे सके वही असली बिजनेस है। बिजनेस को कभी घर पर नहीं लाना चाहिये, क्योंकि जो बिजनेस दुकान से निकल कर घर तक पहुंच गया, फिर वो घर नहीं रह जाता और उसे गर्त में जाने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसे बिजनेस भी देखे गये हैं जिन्हें सिर्फ पेसा ही दिखता है। उनके सामने घर, परिवार, बच्चे, समाज भी नहीं दिखता। उन्हें समाजिक सरोकारों से कोई लेना- देना नहीं होता हैं। उनके घर पर कोई मौत भी हो जाती है तो अर्थी को कांधा देने वाले चार लोग भी नहीं मिल पाते। मोक्ष रथ आता है,ले जाता है और इलेक्ट्रोनिक पद्धति से उनका दाह संस्कार कर दिया जाता है। उस समय न बेटों को समय होता है ना ही पति को समय होता है। ऐसे बिजनेस का क्या फायदा जिसमें नैतिकता नाम की चीज ही नहीं हो।
समारोह में अतिथियों को बीएनआई के अनिल छाजेड़ एवं ऐश्वर्या काॅलेज की डायरेक्टर सीमा सिंह ने मोमेन्टो देकर सम्मानित किया। प्रारम्भ में कार्यक्रम का शुभारम्भ गणपति वन्दना के साथ हुआ। बीएनआई के डायरेक्टर अनिल छाजेड़, ऐश्वर्या काॅलेज की डायरेक्टर सीमा सिंह एवं अतिथियों ने भगवान की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण किया।