उदयपुर। आज तीसरे श्रावणी सोमवार पर अनोखी छटा न्योछावर करते हुए अभिजित वेला में यहां रानी रोेड़ स्थित महाकालेश्वर मंदिर से भोलेनाथ समाधी एवं ओगडी माई समाधी से होते हुए गंगा घाट पहुंचे। वहां शिवभक्तों ने भगवान श्रीमहाकालेश्वर की आरती की व गंगा घाट पर भगवान को झूले झुलाया।
सार्वजनिक प्रन्यास मंदिर श्री महाकालेश्वर के सचिव एडवोकेट चन्दषेखर दाधीच ने बताया कि यहां रानी रोड़ स्थित महाकालेश्वर महादेव मंदिर में आज सावन के तृतीय सोमवार अवसर पर भव्य एवं पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान आयोजित हुए। सूर्याेदय पूर्व से ही शिवभक्त जल चढ़ाने पहूंचने लगे। भोले के सैकड़ों भक्तो ने प्रातः 10 बजे तक महाकालेश्वर को जल अर्पण किया एवं शिव स्तुतियां की। बाद में सावन महोत्सव समिति के तत्वाधान में प्रातः 10ः30 बजे वैदिक मंत्रोचार के साथ महाकालेश्वर को सहस्त्रधारा जलाभिषेेेक व पंचामृत तथा विभिन्न पवित्र नदियांे से मंगवाए गए जल से अभिषेक किया गया। महाकालेश्वर को भव्य श्रृंगार धराया गया।
बाद में अभिजित वेला में 12.15 बजे भगवान श्री महाकालेश्वर की भव्य शाही सवारी रजत पालकी व लवाजमे के साथ प्रारंभ हुई। हजारों शिवभक्त ओम नमः शिवाय के जाप के साथ सवारी में सामिल हुए। गंगा घाट पहुंचकर श्री महाकालेश्वर भगवान को झूलाया गया। भव्य महाआरती हुई। बाद में सवारी पुनः मंदिर प्रांगण पहूंची।
श्रावण महोत्सव समिति के संयोजक पं. महेश दवे एवं आचार्य पंडित राजेन्द्र ने बताया कि आज महादेव नागपाश आकृति पर विराजित हुए। नागयोग सामान्यतः मानव जीवन में कई विघ्न एवं समस्या को उत्पन्न कर जीव जीवन को समस्या प्रद बना देता है। नाग दोष सामान्यतः कालसर्प दोष के नाम से जाना जाता है काल सर्प मुख्यतः राहु ग्रह के द्वारा हेाता है ओर इस दोष से मानव जीवन उसके विकास की गति अवरोध उत्पन्न कर देता है। इस दोष के होने से पितष्दोष, विवाह मे बाधा उत्पन्न होना उन्नति में बाधा उत्पन्न होना, मानसिक अशान्ति और आत्म विश्वास को कमजोर करना अन्य कई बाधाओंको उत्पन्न करता है। आज महाकाल स्वयं काल स्वरूप नागपाश पर बिराजित हो समस्त दोषों एवं ग्रहों को राहु से मुक्ति करा भक्तों को अभय एवं संकटों से मुक्ति प्रदान कर जीव जगत् को मंगलपथ्रा, उज्जवल पथ की ओर प्रसस्त करते है।