नारी शक्ति: बढ़ते कदम व नारी गौरव अलंकरण समारोह
समाज मे अविस्मरणीय योगदान के लिए 16 महिलायें नारी गौरव अलंकरण से सम्मानित
उदयपुर। मोटिवेशनल स्पीकर एवं लायन्स क्लब की पूर्व प्रान्तपाल मुंबई की भावना शाह ने कहा कि दान देना मनुष्य की प्रवृत्ति है लेकिन वह दान देते समय सीना तानकर दान देता है और जताता है कि उसने जरूरतमंद की सेवा की है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिये क्योंकि दान देते समय अपनी आंखे नीचे होनी चाहिये ताकि दान लेने वाला जब कभी वह सामने आये तो उसमें हीनता का भाव न आये और दानदाता के मन में अहंकार का भाव उत्पन्न न हों।
वे आज सुखाड़िया विश्वविध्यालय के विवेकानन्द सभागार मे आयोजित जैन सोश्यल ग्रुप्स इन्टरनेशनल फेडरेशन, मेवाड़ रिजन, जेएसजी विजय तथा संगिनी फोरम विजय के तत्वावधान मे शरद पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित विशाल महिला सम्मेलन नारी शक्तिःबढ़ते कदम व नारी गौरव अलंकरण समारोह’ में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थी। उन्होेंने कहा कि जीवन में गोसिप और दूसरों के घरों में ताकझांक करना छोड़ दें तो अपने जीवन की दिशा बदल जायेगी।
शाह ने कहा कि कभी किसी का बुरा मत सोचो क्योंकि बुराई तुम तक भी आयेगी। समाज बदल रहा है, बच्चें जीवन की दौड़ में पीछे छूट रहे है और ऐसे में मातायें मशीन बनी रही तो सबकुछ बदल जायेगा। बच्चों को पुनः जीवन की मुख्य धारा में वापस लाना होगा। बच्चें को यहीं सिखाना होगा कि मर्द कभी रूलाता नही है। जिस घर में मां एंव पत्नी पूजी जायें तो उस घर मे लक्ष्मी एवं सरस्वती का वास होता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों के साथ बोली जाने वाली निगेटिव भाषा का प्रयोग बंद कर देना चाहिये क्योंकि उस नकारात्मक भाषा का बच्चें के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वह उसके पतन का कारण बनती है।
मोटिवेशनल स्पीकर राजेश्वरी नरेन्द्रन ने कहा कि उनके जीवन की शुरूआत सघ्ंार्ष के साथ हुई। चैथी संतान के रूप में पैदा होने के बाद घर में खुशी का माहौल नहंी था। पैदा होते ही नानी का देहंात हो गया और 9 दिन बाद मां की गोद और उसका दूध नसीब हुआ। इस दौरान बड़ी बहिन ने पानी की बूंदे पिलाकर जिवित रखा 8 वर्ष तक आते-आते अध्यापिका विजयलक्ष्मी के सहयोग मुझे अध्यापन का कार्य करना पड़ा और तक जा कर उसे व उसकी तीन बहिनों को टिफिन नसीब हुआ। उन्होंने कहा कि उस समय मन में यहीं सोच थी कि जीवन में कुछ करना है, कभी रूकना नहीं, कभी झुकना नहीं,कदम जमीन पर रखते हुए आगे बढ़ना है। इस ध्येय को ले कर आगे बढ़ी और जीवन में सफलता ने कदम चूमे।
उन्होंने महिलाओं का आव्हान किया कि हम अपने आप को सीमाओं में बाध्ंाने का कार्य करते है। जीवन में ईच्छा शक्ति मजबूत होगी तो हर कार्य में सफलता मिलेगी। हम आपने आपको कम्फर्ट जोन में बांधते है और यहीं गलती कर बैठते है। हमेशा यहंी सोचें कि मैं हर कार्य को करने में सक्षम हूं। जिदंगी से कोई शिकायत नहीं,जिदंगी ने मुझे मुझसे अधिक दिया है।
देश में 47 प्रतिशत शादियां 3 वर्ष के भीतर ही फल हो रही है और उस फल होने में मुख्य योगदान माताओं का रहता है। बच्चों को जीवन में फेल होने की शिक्षा माता देती है। जीवन में आदर्शवादी होना, जीवंत होना बहुत मुश्किल है। विनम्र बने रहना चाहिये। यदि विनम्र नहीं है तो यकीन मानिये कि आपके भीतर कुछ मर गया है।
मुख्य अतिथि ओसवाल ग्रुप की चेयरपर्सन अरूणा ओसवाल ने कहा कि महिलाओं के नसीब में संघर्ष लिखा होता है लेकिन उस संघर्ष से पार पा कर आगे बढ़ते रहने का नाम ही नारी है। जैन परिवार में संस्कार बहुत बड़ी बात है।
ये महिलायें हुई नारी गौरव अलंकरण से सम्मानित- समारोह में अरूणा ओसवाल, आईएएस विनीता बोहरा, आरएएस डाॅ. तरू सुराणा, डाॅ. रेणु खमेसरा, डॅा. सुरभि पोरवाल, डाॅ. संध्या बोर्दिया, शीला तलेसरा, नीना सिंघवी, आशा कुणावत, चंदा जैन, आईआरएस डाॅ. अलका जैन, देविका सिंघवी, पिंकी माण्डावत, श्वेता मोदी, अनुपमा खमसेरा, मीना चोर्डिया, डाॅ. चन्द्रकांता हिरण को कमल संचेती, जैन सोश्यल ग्रुप इन्टरनेशनल फेडरेशन मेवाड़ रिजन के अध्यक्ष आरसी मेहता, कार्यक्रम मुख्य संयोजक मधु खमसेरा,किरण जैन, भावना शाह, अरूणा ओसवाल, राजेश्वरी नरेन्द्रन, अरूण माण्डोत, राजेश खमेसरा, गुणवन्त वागरेचा अरविन्द बडाला, किशोर कोठारी ने तिलक लगाकर, उपरना एवं शाल ओढ़ाकर, स्मृतिचिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर नारी गौरव अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया।