देश में एक साल में फेफडे मे गाॅठ के लगभग 850 केसेज आते है सामने
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पीटल के पेसिफिक सेन्टर आॅफ कार्डियक साइन्सेस में फेफडे मे गाॅठ की सफल सर्जरी की गई।
चित्तोडगढ के ललास गाॅव की निवासी 23 बर्षीय लीला बाई को पिछले एक महिने से सीने में दर्द एवं श्वास फूलने की तकलीफ के चलते परेशानी का सामना करना पड रहा था। परिजन उसे पेसिफिक हाॅस्पीटल लेकर आए यहाॅ पर लीला बाई को सर्जन डाॅ.के.सी.व्यास को दिखाया तो जाॅच करने पर दाॅए फेफडे मेे गाॅठ का पता चला। जिसका की आॅपेरशन द्वारा ही इलाज सम्भव था।
लीला बाई को ह्नदयरोग सर्जन डाॅ.षिरीश एम. ढोबले की युनिट में भर्ती कर आॅपरेशन पूर्व की सभी जाॅचें करने के बाद मरीज को आॅपरेशन थियेटर में ले जाया गया। डेढ घण्टे तक चले इस सफल आॅपरेशन को अंजाम दिया ह्नदयरोग सर्जन डाॅ.षिरीश एम. ढोबले,कार्डियक एनिस्थिटिक डाॅ.समीर गोयल एवं उनकी टीम ने।
ह्नदयरोग सर्जन डाॅ.षिरीश एम.ढोबले ने बताया कि इस आॅपरेशन में लीला बाई के दाॅए फेफडे से किक्रेट की बाॅल के बराबर की गाॅठ के साथ साथ लगभग 800 मिली सिस्ट का फ्लूड भी निकाला। डाॅ.ढोबले ने बताया कि इस तरह की गाॅठ शरीर के किसी भी हिस्सें में हो सकती है जिसका प्रमुख कारण टेप वर्म (एक प्रकार का कृमि) का इन्फेक्शन होता है जोकि किसी संक्रमित वस्तु के सम्पर्क में आने या दूषित खाना खाने के कारण हो सकता है। यह इन्फेक्शन सामान्यतः लीवर में देखने को ज्यादा मिलता है लेकिन फेफडे में इस तरह के इन्फेक्शन के कारण गाॅठ काफी दुर्लभ होती है। डाॅ.ढोबले ने बताया कि इस तरह की शरीर में गाॅठ के देश में एक साल में लगभग 5000 केसेज आते है। लेकिन फेफडे में गाॅठ के लगभग 850 ही होतें है। इस आॅपरेशन में सरकार की भामाशाह योजना के साथ साथ मेंनेजमेन्ट का काफी सहयोग रहा। लीला बाई अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है। लीला बाई के परिजनों ने पेसिफिक सेन्टर आॅफ कार्डियक साइन्सेस में उच्च प्रषिक्षित स्टाॅफ,हाईटेक आॅपरेषन थियेटर एवं किफायती दरों के चलतें चेयरमेन राहुल अग्रवाल एवं बेहतरीन देखभाल के लिए सभी स्टाफ की प्रषंसा की।