नया 10 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरु हो चुका है, इसे सिक्वेंशियल बैच रिऐक्टर (एसबीआर) टेक्नोलाजी पर डिजाइन किया गया] कंपनी एक अतिरिक्त 5 एमएलडी प्लांट की कमिशनिंग के अंतिम चरण में है
उदयपुर. हिन्दुस्तान ज़िंक ने शहर में अपने नए 10 मीलियन लीटर्स प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को चालू कर दिया है। इस नए संयंत्र से हिन्दुस्तान जिंक के सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों की कुल क्षमता 55 एमएलडी हो गई है।
इसके
अलावा कंपनी एक 5 एमएलडी क्षमता वाली इकाई का काम भी पूरा करने वाली है,
जिससे कुल क्षमता 60 एमएलडी हो जाएगी। सिक्वेंशियल बैच रिऐक्टर टेक्नोलाॅजी
के परिणास्वरूप रसायन मुक्त और जैविक प्रक्रियाएं होती हैं। नया 10 एमएलडी
प्लांट ट्रीटेड पानी उत्पादित करता है जिसका 50 प्रतिशत आयड़ नदी में भेजा
जाता है।
झीलों का शहर उदयपुर में रोजाना 70 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता
है। हिन्दुस्तान जिं़क एक अतिरिक्त 5 एमएलडी प्लांट की कमिशनिंग के अंतिम
चरण में है, जिसके बाद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कुल क्षमता 60 एमएलडी हो
जाएगी। यानी इसके बाद उदयपुर शहर के लगभग पूरे सीवेज का ट्रीटमेंट हो
पाएगा।
इस बारे में हिन्दुस्तान ज़िंक और वेदांता लिमिटेड के सीईओ सुनील
दुग्गल ने कहा, ’’हिन्दुस्तान ज़िंक में हमने हमेशा विचारों, संसाधनों व
प्रयासों से समुदायों को सशक्त बनाने में विश्वास किया है। 2014 में हमने
उदयपुर का पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया था। सरकारी-निजी
भागीदारी माॅडल के तहत 20 एमएलडी क्षमता का यह संयंत्र लगाया गया। बीते 6
वर्षों के दौरान हम इस क्षमता को तिगुना करने की दिशा में आगे बढ़ते आए हैं।
यह अत्याधुनिक 10 एमएलडी प्लांट हमारी कोशिशों को और बढ़ावा देगा जिनके
द्वारा हम एक स्वच्छता एवं वाटर पाॅजिटिव शहर बनाने के सपने को हकीकत में
बदलना चाहते हैं।’’
उदयपुर म्यूनिसिपल काॅर्पोरेशन के कमिश्नर अंकित
कुमार सिंह, आईएएस ने कहा, ’’हिन्दुस्तान जिं़ ने अनुबंध के मुताबिक तय समय
में 10 एमएलडी क्षमता वाले प्लांट समेत उदयपुर शहर में कुल 55 एमएलडी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य पूरा कर दिखाया है, इसके लिए हम कंपनी
प्रबंधन की सराहना करते हैं।’’
कमिश्नर ने यह भी कहा कि, ’’सभी सामाजिक
विकास परियोजनाओं के लिए वेदांता की हिन्दुस्तान ज़िंक हमेशा से उदयपुर
म्यूनिसिपल काॅर्पोरेशन की प्रमुख सहयोगी रही है और उन्होंने जो भी प्रयास
किए हैं उनके लिए हम धन्यवाद करते हैं।’’
एसबीआर टेक्नोलाॅजी में ऊर्जा
संरक्षण की दर बेहतर है साथ ही इससे रसायन मुक्त ट्रीटेड पानी भी मिलता है।
हाइड्रोलिक्स मैकेनिज़्म पर इस पूरी तरह स्वचालित प्लांट में ऊर्जा की खपत
घट गई है। इसकी ट्रीटमेंट प्रक्रिया में कोई भी हानिकारक उत्सर्जन नहीं
होता इसलिए यह पर्यावरण के अनुकूल है। हिन्दुस्तान ज़िंक की ओर से हरित एवं
नवीकरणीय ऊर्जा के पहलू पर यह अतिरिक्त योगदान है। गौरतलब है कि कंपनी ने
इन एसटीपी को विकसित करते समय पास ही में सोलर पैनल भी लगाए हैं।
उदयपुर
उन शहरों में है जिन्हें भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत चुना
है। उदयपुर की झीलों में सीवेज का प्रवाह बहुत बड़ी समस्या बन गया था, इससे
प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया था। उपयोग के लायक पानी हेतु वैकल्पिक स्त्रोत
विकसित करने व उसे संरक्षित करने की जरूरत थी। हिन्दुस्तान जिं़क की
इकाईयां ’ज़ीरो डिस्चार्ज’ के सिद्धांत पर काम करती हैं और सीवेज ट्रीटमेंट
प्लांट स्थापित करने का मतलब है कि जल संरक्षण तथा झीलों में गंदगी का
प्रवाह घटाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस क्षमता वृद्धि से
कंपनी को उम्मीद है कि उदयपुर का अधिकतम घरेलू सीवेज का ट्रीटमेंट हो सकेगा
और इस तरह ताज़े पानी पर निर्भरताएं कम होंगी।