पेसिफिक विश्वविद्यालय में आनलाइन सेमिनार
उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय में आनलाइन सेमिनार के आयोजन के अंतिम दिन प्रो. एम. कालरा, पूर्व कुलपति, कोटा विश्वविद्यालय, कोटा ने राष्ट्र में समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाओं, नीतियों, परियोजनाओं व स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ-साथ सतत शिक्षा नीति की भूमिका और मूल्यांकन की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। डा.ॅ कालरा ने आधुनिक भारत के संपूर्ण विकास में सर्वप्रथम समयानुसार शिक्षा नीति पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उसके नैतिक मूल्यों और लचीलेपन की विशेषता पर प्रकाश डाला।
डाॅ. ए. के ग्वाल, पूर्व कुलपति रविन्द्रनाथ टैगौर विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्यप्रदेश ने मुख्य व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में आने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया एवं साथ ही में उन्होने बताया कि भारत सरकार की जी.डी.पी. का लगभग 1ण्6 प्रतिशत ही उच्च शिक्षा पर खर्च किया जाता हैं, और पी.एच.डी. में केवल 0.5 से 1 प्रतिशत शोधार्थी प्रवेश लेते हैं, जबकि विकसित देशों जैसे कि अमरीका, चीन इत्यादि का यह प्रतिशत भारत से कहीं ज्यादा है। इस कारण अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत के विश्विद्यालय अपना स्थान नही बना पर रहें हैं। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए पेसिफिक विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 की वैज्ञानिक और सामाजिक, आर्थिक भूमिका पर आॅनलाईन राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया। प्रो. एम.एम. रंगा, पूर्व विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विभाग, संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय, अंबिकापुर, छतीसगढ़ का व्याख्यान भारतीय दर्शन, कमजोर वर्ग के उत्थान में रोजगारोन्मुखी योजनाओं जैसे कौशल विकास, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और वी-आकृति पर आधारित था। अधिष्ठाता पी.जी. स्टडीज, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर डाॅ. हेमन्त कोठारी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मानवीय नैतिक मूल्यों और सामाजिक आर्थिक व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला।
प्रो. बी. एम. व्यास, आचार्य, भौतिक विज्ञान विभाग, पेसिफिक विश्वविद्यालय ने इस शिक्षा नीति से नई शोध योजनाओं को सफल बनाने के लिए आर्थिक मदद पर जोर दिया ताकि भविष्य में आर्थिक पक्ष के कारण शिक्षा एवं शोध में विकास अवरूद्व नहीं हो। कार्यक्रम का संचालन प्रो. व्यास ने किया।