राजस्थान की प्रथम स्कल्प कूलिंग मषीन पीएमसीएच में स्थापित, स्कल्प कूलिंग थेरेपी कैंसर के रोगियों में लाती है नया आत्मविश्वास
उदयपुर। दक्षिणी राजस्थान में अपनी किफायती मल्टी एवं सुपरस्पेषियलिटी चिकित्सा सुविधाओं देने में अग्रणी पेसिफिक मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल भीलो का बेदला में आज कैन्सर रोगियों के लिए स्कैल्प कुलिंग मषीन का विधिवत शुभारम्भ हुआ। इस मषीन का शुभारम्भ चेयरमैन राहुल अग्रवाल, प्रीति अग्रवाल, अमन अग्रवाल, गु्रप डाॅयरेक्टर मेडिकल सर्विसेज डाॅ. दिनेश शर्मा, डाॅ. मनोज महाजन एवं डाॅ. सौरभ षर्मा ने किया।
पीएमसीएच के चेयरमैन राहुल अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान के उदयपुर में भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल का कैन्सर विभाग ऐसा एक मात्र कीमोथैरेपी सेन्टर जहाॅ पर स्कैल्प कूलिंग मषीन के माघ्यम से कीमोथैरेपी की सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान में यह भारत में आठ से दस सेंटरों में उपलब्ध है। यह तकनीक पिछले पांच वर्षों में दुनिया भर के लगभग 30 देशों में अनुमोदित और इसका उपयोग किया जा रहा है। इसने रोगियों को नई आशा किरण दी है
कैन्सर रोग विभाग के डाॅयरेक्टर डाॅ.मनोज महाजन ने बताया कि स्कैल्प कूलिंग तकनीक कीमोथेरेपी सत्र के दौरान बालों के झड़ने को रोकने में मदद कर रही है। डाॅ. महाजन ने कहा कि ऐसे कई रोगियों उनके पास आए हैं जिन्होने बालों के झड़ने के कारण कीमोथेरेपी के लिए मना कर दिया क्यों कि कई कैन्सर पीढित मरीज अपनी पहचान छूपाना चाहते है,जिससे की लोगो को पता नहीं चले।
डाॅ.महाजन ने स्पश्ट किया कि कीमोथेरेपी से गुजरने वाले अधिकांश रोगियों में बालों के झड़ने को रोकने के लिए स्कैल्प कूलिंग मशीन यूएस एफडीए द्वारा अनुमोदित तकनीक है। जिससे मरीजों को कीमोथेरेपी उपचार के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण रखने में मदद मिलती है और उनकी गोपनीयता बनाए रखने में मदद मिलती है।
स्कैल्प कूलिंग तकनीक कैसे काम करती है: कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं और शरीर की तेजी से विभाजित कोशिकाओं को टारगेट करती है। बालों के रोम कोशिकाओं में से एक हैं जो तेजी से विभाजित होते हैं और बालों के झड़ने की फर्म में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। स्केलप कूलिंग तकनीक के साथ जैसा कि नाम से संकेत मिलता है कि यह शून्य से 4 डिग्री सेल्सियस ऊपर स्कैल्प का तापमान घटाता है। कीमोथेरेपी के दौरान और बाद में स्कैल्प कूलिंग कैप नामक विशेष उपकरणों को सिर पर लगाने की आवश्यकता होती है। यह कीमोथेरेपी ले जाने वाले रक्त वाहिकाओं के संकुचन का कारण बनता है। इसके प्रभाव से बालों के रोम तक पहुंचने वाली कीमोथेरेपी दवा कम हो जाती है और यह बालों की कोशिकाओं पर गंभीर प्रभाव को रोकती है। इसका उपयोग रक्त कैंसर को छोड़कर सभी कैंसर के लिए किया जा सकता है। स्कैल्प कूलिंग आमतौर पर कीमोथेरेपी से 30 मिनट पहले शुरू होती है और कीमोथेरेपी के बाद 90 मिनट तक रहती है। बालों के झड़ने का मूल्यांकन और मूल्यांकन करने के लिए सचित्र रिकॉर्ड बनाए जाते हैं। मरीजों को अपने बालों को अच्छी तरह से धोने और कीमोथेरेपी के दिन बालों के तेल का उपयोग नहीं करने के लिए कहा जाता है। कीमोथेरेपी की शुरुआत से पहले उन्हें कंडीशनर के साथ कवर किया जाता है।