उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र एवं स्नातकोतर अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में नैक विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित हुआ। इस अवसर पर नैक के उप-सलाहकार डा देवेन्द्र कावड़े ने व्याख्यान में नैक द्वारा महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
उन्होंने बताया कि यदि उच्च शिक्षण संस्थाए, आधारभूत संसाधन, शोध एवं अकादमिक स्तर को सतत सवंर्धित करते रहें तो उच्च ग्रेड प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता रहेगा। नैक के पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो.वी.एन.आर.पिल्लई ने उच्च शिक्षा में गुणवŸाा संवर्धन हेतु नैक द्वारा किए जाने वाले मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने बताया कि यह चिंता का विषय है कि हमारे देश में बहुत कम विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर की रैंकिग प्राप्त कर पाए है। कई विश्वविद्यालयों ने तो अभी तक नैक द्वारा अपना मूल्यांकन भी नहीं करवाया हैं। राजस्थान में ही केवल 17ः उच्च शिक्षण संस्थाओं ने नैक द्वारा मूल्यांकन करवाया है। उन्होने कहा कि नैक द्वारा मूल्यांकन करवाने से एक दृष्टि प्राप्त होती है जिसको लेकर संस्थान उŸारोŸार आगे बढ़ते हैं। अतः सभीं विश्वविद्यालयों को नैक द्वारा अपना मूल्यांकन एवं प्रत्यायन अवश्य करवाना चाहिए। प्रति पाँच वर्षो में यह मूल्यांकन होने से उच्च संस्थाएँ सतत अपने अकादमिक, आधारभ्ूत संसाधन, नवाचार आदि को बढ़ाते हुए अपनी गे्रड एवं रैंक में लगातार वृद्धि कर सकते है। महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगांव के कुलपति प्रो. आर.एस.माली, ने महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों का नैक द्वारा मूल्यांकन एवं प्रत्यायन में उच्च ग्रेड प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्यो एवं प्रयासों हेतु पूरा रोड़मैंप प्रस्तुत किया जिसको समझ कर और उसको क्रियान्वित कर कोई भी उच्च शिक्षण संस्थान अच्छी गे्रड प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो सकता हैं। उन्होनेे बताया कि आधारभूत सुविधाएं, अनुसंधान, औद्योगिक-अकादमिक सम्बन्धों, अध्यायन, अधिगम में नई तकनीक का समावेश, नवाचार आदि को लगातार विकसित करते रहने से गुणवŸाा के मापदंड़ हस्तगत किए जा सकते हैं। वेबिनार का प्रारंभ प्रो, हेमन्त कोठारी के वक्त्वव्य से हुआ जिसमें उन्होने पेसिफिक विश्वविद्यालय में हो रहे है उल्लेखनीय शोध कार्यो का परिचय दिया। पेसिफिक विश्ववि़द्यालय के कुलपति प्रो. कृष्णकान्त दवे ने गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा हेतु नैक मूल्यांकन को आवश्यक बताया। ख्यातिलब्ध रसायनविद् प्रो. सुरेश आमेटा, प्रो. रामेश्वर आमेटा, एवं डाॅ. नीतू शोरगर ने सभी वक्ताओं का स्वागत तथा परिचय प्रस्तुत किया। डाॅ. पारस टांक, डाॅ प्रियंका जालोरा, डाॅ मोनिका जांगिड़, शुभांग व्यास द्वारा वेबिनार का सफल संयोजन हुआ। धन्यवाद प्रो. सीमा कोठारी ने ज्ञापित किया।