उदयपुर। दक्षिणी राजस्थान में अपनी किफायती सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं के दम पर स्वास्थ्य सेवा देने में अग्रणी पेसिफिक मेिडकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल भीलो का बेदला में नवजात बच्ची के फेफडें की जटिल बीमारी ‘कंजेनाइटल सिस्टिक एडीनाॅइड मालफाॅर्मेशन‘ का सफल आॅपरेशन कर उसे नया जीवनदान दिया। इस आपेरशन में बाल एवं नवजात शिशू सर्जन डाॅ. प्रवीण झंवर, ऐनेस्थिशिया विभाग के डॉ. प्रकाश औदिच्य, डाॅ. शिल्पा, डाॅ. कृष्णगोपाल, अनिल भट्ट एवं मनीष की टीम का सहयोग रहा।
दरअसल 25 दिन की बच्ची को जन्म के 10 दिन बाद श्वाॅस सम्बंधित समस्या होने लगी। परिजनों ने उसे नजदीकी अस्पताल मे भर्ती कराया। बच्ची की गंभीर अवस्था को देखतें हुए चिकित्सकों ने परिजनों को बच्ची के इलाज के लिए पेसिफिक हाॅस्पिटल बेदला जानें की सलाह दी। परिजन बच्ची को पीएमसीएच लेकर आए यहाॅ उन्होने बाल एवं नवजात शिशू सर्जन डाॅ.प्रवीण झंवर को दिखाया। बच्ची की नाजूक हालत को देखतें हुए तुरन्त वेन्टिलेटर पर लिया गया एवं जाॅच करने पर पता चला कि बच्ची के दाॅये फेफडें का एक हिस्सा जन्म से ही खराब था तथा उसमें मवाद भी बनने लगा था। बच्ची ‘कंजेनाइटल सिस्टिक एडीनाॅइड मालफाॅर्मेशन‘ से ग्रसित थी इस आनुवांशिक बीमारी का केवल आॅपरेशन द्वारा ही उपचार सम्भव था।
बाल एवं नवजात शिशू सर्जन डाॅ.प्रवीण झंवर ने बताया कि जन्मजात सिस्टिक एडिनोमेटॉइड विकृति एक सौम्य फेफड़े का घाव है जो जन्म से पहले छाती में सिस्ट के रूप में प्रकट होता है। यह असामान्य फेफड़े के ऊतकों से बना होता है जो ठीक से काम नहीं करता है, लेकिन बढ़ता रहता है। सिस्टिक एडिनोमेटॉइड को अक्सर जन्मजात फुफ्फुसीय वायुमार्ग विकृति के रूप में भी जाना जाता है। यह बच्चों में जन्म से पहले विकसित होता है, और आकार में भिन्न हो सकता है और या तो द्रव से भरा या ठोस हो सकता है। एक बड़े सिस्ट को मैक्रोसिस्टिक घाव कहा जाता है, और एक छोटे सिस्ट या ठोस दिखने वाले घाव को माइक्रोसिस्टिक कहा जाता है।
डाॅ.झंवर ने स्पष्ट किया कि किन्ही दस हजार बच्चों में किसी एक में इस तरह की बीमारी पायी जाती हैं साथ ही इस तरह की बीमारी में जल्दी आॅपरेशन हो जाने से बीमारी से निजात मिल जाती है। बच्ची के परिजनों ने पीएमसीएच के चेयरमैन राहुल अग्रवाल,सभी चिकित्सकों,मैनेजमेंट, नर्सिंग कर्मियों एवम् स्टाॅफ का आभार जताया। बच्ची अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है और उसको छूट्टी दे दी है।