मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के तत्वाधान में द इंडियन इकनॉमिक एसोसिएशन का 104वां वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ विश्वविद्यालय के अथितिगृह में कुलगीत एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। अधिवेशन का मुख्य विषय, “आर्थिक विकास का भारत केन्द्रित दृष्टिकोण: कोविड-19 के बाद की सीख” रखा गया है। अधिवेशन का आयोजन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनो मोड से किया गया है।
प्रबन्ध अध्ययन संकाय के निदेशक एवं इस अधिवेशन के आयोजन सचिव प्रो. हनुमान प्रसाद ने बताया की 1962 से यह विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ करते आ रहा है। विश्वविद्यालय निरन्तर प्रगति पर चल रहा है और हमने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए 250,000 मास्क एवं ५००० साड़िया आदिवासी क्षेत्रों में वितरण की है। हमारे विश्वविद्यालय ने 28 गाँव गोद ले रखे हैं। इस शैक्षणिक सत्र में हमने १५५ वेबिनार और 200 शोध पत्र पब्लिश करवाये है।
कार्यक्रम के दौरान “सावास” जर्नल और साथ ही डॉ. मदानी मनोज जी की पुस्तक “व्यवस्था परिवर्तन एक विमर्श: एक पहल नए भारत के रचना की” का विमोचन किया गया | अर्थशास्त्री प्रो. श्री प्रकाश जी को अटल बिहारी वाजपेयी अवार्ड से नवाजा गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हमे मानसिक दासता से ऊपर उठना होगा और अपने शोध भारतीय भाषा में प्रसारित करने होंगे।
कार्यक्रम के संरक्षक मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति – प्रो अमेरीका सिंह जी ने अपने वक्तव्य में बताया की हमे अपने संवैधानिक कर्तव्यो की पालना करनी चाहिये। उन्होंने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि विश्वविद्यालय में 12 संकाय और ५६ डिपार्टमेंट लगातार वैश्विक स्तर का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, गरीब कल्याण योजना, कोविड वेक्सीनेशन, डिजीटल पेमेन्ट, किसानों की योजनाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि IEA का कार्यक्रम देश ही नहीं अपितु विश्व आर्थिक ग्रोथ को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मणिपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो ए पी पांडे जी ने बताया की देश को कोरोना के आतंक से बचाने के लिए हम शोध के माध्यम से चुनौती देने का कार्य कर रहे हैं। कोरोना ने पूरे विश्व को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। रोजगार खत्म हो चुके हैं, ऐसे में हमे छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। अब समय आ चुका है कि हमे समस्या से निपटने के लिए तर्क पूर्ण तरीके से सोचना होगा।
विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो.जी.एस. राठौड़ जी ने मंचासीन अतिथियों, प्रतिभागियों और कार्यकर्ताओं का विश्वविद्यालय की ओर से स्वागत किया ।
IEA के अध्यक्ष प्रो घनश्याम सिंह में अपने वक्तव्य में बताया कि यह संस्था ऐतिहासिक कार्य कर रही है । पिछले कुछ दशको मे हमने बहुत ही महत्वपूर्ण समय देखा है और संस्थान के सभी लोगो ने इस चुनौतिपुर्ण समय में भी साहस के साथ कार्य किया है।
कार्यक्रम के अतिथि अरनी विश्वविद्यालय के कुलपति विवेक सिंह जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि IEA भारतीय अर्थव्यवस्था में अनुसंधान गतिविधियों द्वारा महत्वपूर्ण योगदान निभा रही है। कोरोना के बाद हमारे सामने अनेक आर्थिक समस्याएं आ रही है और IEA जैसे संस्थान ही शोध के माध्यम से समाधान की तलाश कर सकते है।
IEA के मुख्य सचिव डॉ. डी के अस्थाना जी ने अपने वक्तव्य में बताया की IEA 104 वर्ष से निरन्तर प्रगति कर रहा है और यह देश की दूसरी सबसे पुरानी आर्थिक संस्था है।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. ए. के तोमर ने कहा कि इस अधिवेशन में तीन मुख्य विषय यथा भूमण्डलीय उष्मीकरण व जलवायु परिवर्तन, डिजिटल एप्लीकेशन के जरिए गरीबी उन्मूलन, कोविङ-19 और भारतीय अर्थव्यवस्था रहेंगे। चार उप -विषय यथा कृषि तकनीक व आदिवासी अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भर अर्थतन्त्र, राष्ट्रीय शिक्षानीति, वैश्विक एवं स्थानीय डिजीटल क्रान्ति और भारतीय अर्थतन्त्र होंगे। उन्होंने बताया की सबसे बेहतरीन शोध पत्र को गोल्ड मेडल से नावाज़ा जाएगा। आयोजन कमेटी की सहसचिव डॉ. नेहा पालीवाल ने समस्त अथितियो, प्रतिभागियों और कार्यकताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो. मदन सिंह राठौड़, प्रो. पी. के. सिंह, प्रो. मीरा माथुर, प्रो. शूरवीर भानावत , डॉ. एस. के भाटी, प्रो. सीमा मालिक, डॉ. अल्पना सिंह , डॉ. साहेब सिंह, , डॉ आलम और अन्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिती रही।