पेसिफिक युनिवर्सिटी में हुआ अन्तराष्ट्रीय कांफ्रेन्स का उद्घाटन, 60 से अधिक देशों के शोधार्थियों ने प्रस्तुत किये शोध पत्र
उदयपुर । आज तकनीकी युग के रफ्तार और नवाचार से हम तकनीकियों पर निर्भर होते जा रहे हैं और लगातार हो रहे तकनीकी आविष्कारों के चलते भविष्य में इसके लाभ और भी बढ़ने वाले हैं, समय की बचत के साथ इसने हमारे कार्य की प्रगति को आसान और अधिक प्रभावी बना दी दिया है। यह विचार पेसिफिक विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अध्ययन एवं कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “कंप्यूटर के प्रयोग का उभरता हुआ युग” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में सामने आये।
शनिवार को शुरू हुई दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के समारोह के मुख्य अतिथि अमेरिका से याहू के पूर्व ग्लोबल निदेशक डॉ. दीपक बापना थे तथा अध्यक्षता प्रेसिडेंट, पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रोफेसर के.के. दवे द्वारा की गयी।
पेसिफिक विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अध्ययन के प्रभारी प्रो. हेमंत कोठारी ने बताया कि दिन प्रतिदिन तकनीकी क्षेत्र में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं, इसी विचार के साथ कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग के विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा करने के लिए इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है । आज के युग में समस्त आवश्यक जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। कंप्यूटर के आयाम हमारे जीवन को आसान कर रहे हैं किंतु इनका कई हानिकारक प्रभाव भी हैं। प्रो. कोठारी ने इनसे होने वाले पर्सनल लाइफ प्रोटेक्शन तथा चौलेंजेंस पर प्रकाश डाला। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर के. के. दवे, प्रेसिडेंट, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर ने कहा कि आने वाला समय मशीन लर्निंग, इन्फोरमेशन टेक्नालॉजी, ऑटोमेशन है, जिसमें कम्प्यूटर और इन्फोरमेशन टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका साबित होगी। इण्डस्ट्रीयल रिवोल्युशन 4.व् जो की पूर्णतया बिग डाटा और क्लाउड कंम्प्यूटिंग पर आधारित है अनेक लोगों को बड़ी संख्या में नए रोजगार उपलब्ध करवाएगा। इन सब पहलुओं को देखते हुए पेसिफिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स बहुत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमेरिका से याहू के पूर्व ग्लोबल निदेशक डॉ. दीपक बापना ने कहा कि हम तकनीकी क्रान्ति के युग में हैं इसे तीसरी औद्योगिक क्रान्ति कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने आने वाले कुछ वर्षों में संभावित कोर तकनीकियों पर प्रकाश डाला। डॉ. बापना ने मेक इन इण्डिया को सफल बनाने के लिए ऑटोमेशन की महत्ता को बिन्दुओं के माध्यम से समझाया। उन्होंने इस क्षेत्र में भविष्य के बारे में कहा कि इसमें असीमित संभावनाएं हैं बस हमें अपनी रूचि और योग्यता को पहचाना होगा।
प्रथम तकनीकी सत्र में सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, गुजरात के प्रो. परेश वीर परिया ने अपने व्याख्यान में कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह आज के युग की एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है, जो मानव मस्तिष्क की भांति सोच समझ सकती है तथा निर्णय ले सकती है। वर्तमान समय में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जो इस तकनीक से अछूता है, तथापि इसके द्वारा बहुत सारी जटिल समस्याओं का निस्तारण किया जा सकता है। दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो. कमल कांत हिरण, सिंघानिया विश्वविद्यालय, उदयपुर ने क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह तकनीक डाटा मैनेजमेंट एवं ट्रांसफर में बहुत उपयोगी है । साथ ही में डेटा विश्लेषण और लोड बैलेंसिंग विधियों पर हो रहे नवाचार के बारे में अपने विचार रखे। अंतिम सत्र में प्रो. मुनेश चंद्र त्रिवेदी, एन.आई. टी., अगरतला द्वारा क्रिप्टोग्राफी क्षेत्र के आयामों को बताया गया। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोग्राफी द्वारा आप अपने डेटा को कूट लेखन से इतना सुरक्षित कर पाते हैं कि बीच में कोई भी इस संदेश को पढ़ ना सके। साथ ही में इस क्षेत्र में किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है पर विशेष प्रकाश डाला। प्रो. दिलेन्द्र हिरन, निदेशक कंम्प्यूटर विज्ञान ने बिग डाटा के बारे में अपने विचार व्यक्त किये और इसकी व्यापारिक महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रो. तनवीर काजी, प्रिन्सिपल, पेसिफिक इंजीनियरिंग कॉलेज ने वर्तमान परिवेश में बढ़ते साईबर क्राइम के रोकथाम को लेकर अपना उद्बोधन दिया।
पहले दिन 4 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें 60 से अधिक देश के विभिन्न प्रदेशों तथा विदेशों (अमेरिका, इंग्लैंड, नेपाल, सऊदी अरब) से शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। यह शोध पत्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी, मशीन लर्निंग, इमेज-प्रोसेसिंग, आईओटी, क्लाउड कंप्यूटिंग तथा कंप्यूटर के विभिन्न आयामों पर आधारित थे। शोधार्थियों ने पत्रों का प्रस्तुतीकरण माइक्रोसॉफ्ट पावरप्वाइंट द्वारा किया, कॉन्फ्रेंस का संचालन डॉ. नीतू अग्रवाल द्वारा किया गया।