स्वास्थ्य जागरूकता सेमिनार
उदयपुर। युवा उद्यमी एंटरप्रेन्योर प्रणव पोद्दार ने कहा कि रेडियेशन्स न दिखने वाली ऐसी बीमारी है जो असर तो करती है लेकिन देर से पता चलता है। इसके उलट कोविड में तुरंत पता चल गया इसलिए उसके लिए हम पैनिक भी हुए और इलाज भी लिया। रेडियेशन्स का असर हर बच्चे से लेकर वृद्ध पर हो रहा है लेकिन उसका पता एकदम से नही चलता। जब तक इसके दुष्प्रभाव का पता चलता है तब तक बीमारी लाइलाज हो जाती है।
वे होटल आमंत्रा में एनवायरोनिक्स की ओर से आयोजित स्वास्थ्य जागरूकता सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसे इलेक्ट्रो स्मोग और इलेक्ट्रो मैग्नेटिक भी कहा जाता है। यह बहुत गहराई तक हमारे जीवन में घुसा हुआ है। बच्चे मोबाइल की जानकारी तुरंत दे देंगे। तकनीक लाभदायक तो है लेकिन नुकसान भी। बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत भयंकर असर होने वाला है। इसके दुष्प्रभाव के रूप में आज के बच्चों में एग्रेशन बहुत देखा जा सकता है। पेशंस किसी में नहीं रहा।
उन्होंने बताया कि देश सहित विदेशों में 2600 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुके हैं। रेडियेशन्स को दूर करने के लिए हम काम करते हैं। 3 साल में 10 करोड़ लोगों तक यह सुविधा पहुंचेगी। देश की टॉप 100 में से 25 कंपनियों ने हमारी सेवाएं ली हैं।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक का समाधान पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाले दबाव को कम करना है। हम जियो पैथिक स्ट्रेट ज़ोन पर हम काम करते हैं। जहां पर आप रहते हैं, वहां पृथ्वी के नीचे से आने वाली रेडियेशन्स का कैंसर होने में बड़ा योगदान है। यह जियो पैथिक रेडियेशन्स हर घर के 20 प्रतिशत क्षेत्र में है। थकान, चिड़चिड़ापन, धैर्य खत्म हो गया है, व्यवहारिक चेंज हो गया है। कृत्रिम गर्भाधारण के अब बहुत अधिक मामले आने लग गए हैं। हेल्थ सम्बन्धी समस्याएं तो हैं लेकिन इसके साथ कोई को रिलेट नही करता। उन्होंने कहा कि सिगरेट, एल्कोहल के विज्ञापन टीवी पर नही आते इसी तरह विकसित देशों में मोबाइल के एड बैन किये जा चुके हैं। सर्वाधिक अग्रणी टेक वाले देश दक्षिण कोरिया में कहीं वाईफाई नही है सिर्फ वायर्ड इंटरनेट अलाउ है। मोबाइल के साथ जो मैन्युअल आता है उसे कोई नही पढ़ता। उसमें साफ लिखा है कि मोबाइल 1 घंटे मे 6 मिनट से ज्यादा काम नही करें, वायर्ड इयरफान यूज़ करें। अपने शरीर से फोन दूर रखें। कैलिफोर्निया में बच्चे का ब्रेन और गर्भवती महिला का फोटो मोबाइल पर है और उस पर चेतावनी दी हुई है। मोबाइल से स्टडी में आया है कि स्ट्रेस होता है।
इसके समाधान के रूप में हमारे पास एनवायरोग्लोब और चिप है। मोदीकेयर का ग्लोब अपने कमरे में रख सकते हैं जो अपने आसपास के 350 वर्गफीट क्षेत्र को कवर करता है वहीं चिप हर मोबाइल में लगाई जा सकती है। ये मेडिकली अप्रूव्ड हैं और पेटेंटेड हैं।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ , एमबी कॉलेज के अरविंद शुक्ला सहित कई विशेषज्ञों ने अपनी जिज्ञासा शांत की। डॉ. मंगल ने बताया कि तुलसी का पत्ता जेब में रखें तो भी रेडियेशन्स से बचा जा सकता है। इस पर पोद्दार ने कहा कि रोज एक नया तुलसी का पत्ता रखें या मोबाइल पर एक चिप लगा दें। सेमिनार का संचालन उद्यमी धीरेंद्र सिंह मेहता ने किया। आभार निर्मल जैन ने व्यक्त किया।
Shandar. Jandar infomation by Mr. Poddar.
Really it’s a life saving product. Thank you so much 😊🙏