समाज में नई परंपराएं विकसित हो रही हैं उनके प्रति विद्यार्थियों को संवेदनशीलता के साथ और विवेकपूर्ण तरीके से सामंजस्य बैठाना चाहिए तभी वे जीवन में सही पथ पर अग्रसर हो सकते हैं इसी चीज को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों के लिए 14 फरवरी एंड बियोंड डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रीनिंग की गई।
इस फिल्म के निर्देशक डॉ. उत्पल कलाल ने विद्यार्थियों को फिल्म के विविध पहलुओं के बारे में बताया। इस फिल्म के माध्यम से विद्यार्थियों में वैलेंटाइन डे के द्वारा किए जा रहे व्यवसायीकरण और उत्पादों को बेचने की प्रक्रिया के बारे में बतलाया गया। यह दिवस विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन गिफ्ट आइटम्स, ज्वेलरी इत्यादि की बिक्री हेतु एक व्यूह रचना है। इसके माध्यम से बिक्री को बढ़ाया जाता है और अधिकाधिक मुनाफा कमाने का प्रयास विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विश्व भर में किया जा रहा है। विद्यार्थियों को इसमें सजग रहना जरूरी है और उन्हें अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए को संयम रखने की जरूरत है।
इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के पश्चात है डॉ. कलाल ने विभिन्न प्रकार की डॉक्यूमेंट्री जैसे कि पोएटिक, ऑब्जर्वेशनल, ड्रामा, एक्सप्लोरेट्री डॉक्यूमेंट्री इत्यादि के बारे में विस्तार से समझाया। नए उभरते डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले किस प्रकार वित्त व्यवस्था कर सकते हैं इसके स्रोतों के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी।
विद्यार्थी प्रोडक्शन, पोस्ट प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक के बारे में जानकर काफी उत्साहित हुए। इस अवसर पर पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रोफेसर क.े के. दवे ने विद्यार्थियों को बताया कि शिक्षा इस तरह से अर्जित करनी चाहिए कि वह समाज में उसका उपयोग कर सकें तभी उनकी शिक्षा की यथार्थता सिद्ध होगी।
प्रिंसिपल डॉ अनुराग मेहता ने जर्नलिस्म एवं मास कम्युनिकेशन के विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट और असाइनमेंट करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने विद्यार्थियों में मौलिक सोच की महत्ता पर प्रकाश डाला डालते हुए बताया कि फिल्म का आईडिया सार्थक और संवेदनशील होना फिल्म की सफलता में एक बड़ा निर्णायक सिद्ध होता है। अतः विद्यार्थियों को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे कि वे सफल डॉक्यूमेंट्री बना सकें और समाज को सही दिशा मिले तथा व्यापक सोच विकसित हो।