युवा कथाकार नितिन यादव के कथा संग्रह ‘ऑक्सीयाना और अन्य कहानियां‘ का लोकार्पण
जयपुर। राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर और समान्तर के संयुक्त तत्वावधान में युवा कथाकार नितिन यादव की न्यू वल्र्ड पब्लिकेशन, दिल्ली द्वारा सद्य प्रकाशित कहानी संग्रह ‘ऑक्सीयाना और अन्य कहानियां‘ का लोकार्पण और उस पर चर्चा का अकादमी के सभागार में आयोजन किया गया
राजस्थान लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और उपन्यासकार डॉ. आर. डी. सैनी की अध्यक्षता और सुपरिचित कवि और वरिष्ठ लेखक कृष्ण कल्पित के मुख्य आतिथ्य में समारोह का आयोजन किया गया। प्रतिष्ठित आलोचक डॉ.दुर्गाप्रसाद अग्रवाल मुख्य वक्ता, वरिष्ठ कवि व्यंग्यकार फारूक आफरीदी विशिष्ट अतिथि और अकादमी के निदेशक डॉ. बीएल. सैनी स्वागताध्यक्ष के तौर पर मौजूद रहे। हिन्दी साहित्य के आलोचक और समांतर से संबद्ध डॉ.राजाराम भादू के सान्निध्य में शिवानी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित साहित्यकार कृष्ण कल्पित ने कहा कि संग्रह में नए जमाने के यथार्थ की कहानियां हैं। इनकी कहानियों में नया जमाना, नई तकनीक, नई तरह की राजनीति, नई तरह की युवाओं में हिंसा, नए औजारों और नए गांवों का जिक्र हुआ है।कल्पित ने कहाकि राजनीति ने छवि शब्द को छिछला कर दिया है। राजनीति शब्दों को भ्रष्ट करती है। इसका संकेत इनकी कहानियों में है। इन कहानियों का एक गहरा राजनीतिक मंतव्य है। इनकी कहानियां भविष्य के खतरों और आहट को भांपकर उनकी तरफ इशारा करती है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार उपन्यासकार डॉ आर.डी. सैनी ने कहा कि लेखन में कथानक और कहन का तरीका नया होगा तभी पाठक को प्रभावित करेगा। नितिन की कहानियां विचारोत्तेजक है और सोचने को विवश करती हैं।
विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ कवि एवं व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि राजस्थान में कथा लेखन की एक सुदीर्घ और समृद्ध परंपरा रही है। नए लेखकों को इसे आगे बढ़ाने और समाज को जागरूक करने तथा लोकतंत्र के सामने मौजूद खतरों से आगाह करने का काम करना होगा। नए लेखकों को आधुनिक युग बोध का रचना कर्म करना होगा।
प्रसिद्ध आलोचक डाॅ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने संग्रह की समीक्षा करते हुए कहा कि नितिन की कहानियां आधुनिक युग बोध की कहानियां है। ये कहानियां सचेत और जागरूक नागरिक बनाने का का काम करती हैं। इस अवसर पर जयपुर और प्रदेश के प्रतिष्ठत लेखक, कवि, कथाकार, चित्रकार, रंगकर्मी, फिल्मकार, पत्रकार मौजूद थे जिनमें युवाओं की संख्या सर्वाधिक थी। उपस्थित प्रबुद्धजनों में विनोद भारद्वाज, चरण सिंह पथिक, गजेन्द्र एस श्रोत्रिय, राघवेन्द्र रावत, प्रभात, प्रेमचंद गाँधी, भागचंद गुर्जर, उदयवीर सिंह यादव, महेश कुमार, महेश स्वामी, राकेश कुमार रायपुरिया, रमेश शर्मा, रघुवीर पूनिया प्रमुख थे।