खनन, अन्य आर्थिक उद्योगों के बीच, न केवल भारत में बल्कि औद्योगिक दुनिया में भी लंबे समय से पुरुष प्रधान उद्योग रहा है। लेकिन समय में बदलाव के साथ, राजस्थान में कई महिला इंजीनियर धीरे-धीरे लेकिन लगातार इस क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे कर इसे पुरूष प्रधान कार्य की धारणा को बदल रही हैं।
देश की सबसे बड़ी और एकमात्र जस्ता, सीसा, चांदी उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिं़क में 109 महिला इंजीनियरों सहित 505 महिला कर्मचारी खनन और प्रचालन कार्यों में बदलाव का नेतृत्व कर रही हैं। दो तीन गुना बड़े आकार में माइनिंग व्हीकल्स को चलाने से लेकर उच्चतम गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन करने वाले संयंत्रों को संचालित करने से लेकर नाइट शिफ्ट में काम करने तक, इन महिलाओं ने यह सब किया है आज वें हिंदुस्तान जिंक की विकास का एक मूलभूत हिस्सा हैं।
कंपनी ने एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है जिसमें युवा इंजीनियरों को नई प्रक्रियाओं को बनाने और नई तकनीकों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करने और सशक्त बनाने के लिए केंद्रित प्रयास शामिल हैं। हिंदुस्तान जिंक का दृढ़ विश्वास है कि विविध कार्यबल उच्च प्रदर्शन की कुंजी है। कंपनी सभी स्तरों पर पुरूष और महिलओं लिए समान प्रतिनिधित्व और समान अवसरों के साथ लैंगिक समानता को लक्षित करती है। महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाना और उन्हें अपनी क्षमता दिखाने में सक्षम बनाना कंपनी की विकास यात्रा की आधारशिला रही है।
इसी का परिणाम है कि भूमिगत खदानों में काम करने वाली भारत की पहली महिला खदान प्रबंधक हिंदुस्तान जिंक से हैं। समावेशन परियोजना के तहत हिंदुस्तान जिंक ने पहले चरण के रूप में कार्यबल संरचना पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें लिंग, क्षेत्रीय, शैक्षिक, शारीरिक क्षमता, आयु, जातीयता और समुदाय शामिल हैं। कंपनी ने एक रोडमैप भी विकसित किया है और समान रोजगार अवसर नीति और विविधता नीति घोषित की है।
हिंदुस्तान जिंक का दृढ़ विश्वास है कि खनन और इंजीनियरिंग में महिलाओं की उपस्थिति देश की वृद्धि और विकास की मजबूत यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है। खनन और धातु प्रमुख ने कार्यकारी कार्यबल में 19.34 प्रतिशत महिलाओं को और विभिन्न विभागों में नेतृत्व की भूमिकाओं में 5 प्रतिशत को शामिल किया है। कंपनी अपनी महिला कर्मचारियों को उनके कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और विकास के अवसर भी प्रदान कर रही है। हिंदुस्तान जिंक लिंग, भौगोलिक, सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने में हमेशा अग्रणी रहा है और सभी कार्यकारी और प्रबंधन समितियों के बीच 30 प्रतिशत विविधता हासिल करने और बनाए रखने का लक्ष्य है।