चिरंजीवी योजना के तहत हुआ निशुल्क इलाज
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग ने दुर्लभ बीमारी फियोक्रोमोसाइटोमा से पीढ़ित 59 बर्षीय महिला का सफल ऑपरेशन कर उसे इस बीमारी से छुटकारा दिलाया। इस सफल ऑपरेशन में यूरोलॉजिस्ट डॉ. हनुवन्त सिंह राठौड़, डॉ. क्षितित रॉका, डॉ. विजय ओला, निश्वेतना विभाग के डॉ. प्रकाश औदिच्य, डॉ. समीर गोयल डॉ. निकिता बसेर, चन्द्रमोहन शर्मा एवं घनश्याम नागर के साथ-साथ ऑंको सर्जन डॉ सौरभ शर्मा का विशेष योगदान रहा।
चित्तौड़गढ़ के भदेसर निवासी 59 बर्षीय कमला बाई को पिछले दो साल से सिर दर्द एवं बीपी बढ़ जाने के साथ साथ पेट दर्द की समस्या थी। कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। परिजन उसे पीएमसीएच लेकर आए जहांयूरोलॉजिस्ट डॉ. हनुवन्त सिंह राठौड को दिखाया तो सोनोग्राफी की जांच कराने पर मरीज के लेफ्ट किडनी में ऊपर 10 सेंटीमीटर की गांठ का पता चला साथ ही बीपी 200 से ऊपर था एवं दवाइयों द्वारा कंट्रोल नहीं हो रहा था। मरीज की सीटी स्कैन जांच कराई तो पता चला कि यह गांठ एक असामान्य बीमारी जिसको फियोक्रोमोसाइटोमा कहते हैं। यह बहुत ही दुर्लभ है, जिसके कारण इससे निकलने वाले हॉर्माेन्स की वजह से मरीज का बीपी हमेशा बड़ा रहता है। बीपी बढ़ने के चलते ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक का खतरा भी बना रहता है।
इस मरीज का ऑपरेशन करना बहुत ही जटिल था लेकिन पेसिफिक मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में उपलब्ध उच्च स्तरीय ऑपरेशन थिएटर एवं विश्व स्तरीय चिकित्सकों की टीम के चलते यह संभव हो पाया मरीज का सबसे पहले एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एवं कार्डियोलॉजिस्ट की मदद से बीपी को कम किया गया यह करीब दो महीने के प्रयासों के बाद यह संभव हो पाया।
डॉ. हनुवन्त सिंह राठौड़ ने बताया कि ऑपरेशन में कई तरह की जटिलता थी, जिसमें निश्वेतना विभाग की टीम के लिए एक बड़ी चुनौती थी कि ऑपरेशन के दौरान मरीज का बीपी बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है, साथ ही इसमें गांठ को टच करते ही बीपी का बढ़ जाना जिसके चलते मरीज को नुकसान हो सकता है, दूसरा ऑपरेशन के बाद गांठ को निकालते ही बीपी अचानक से कम हो जाना जिसको नॉर्मल करना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है।
इस ऑपरेशन में गांठ तक पहुंचने के लिए थोरोको-एब्डोमिनल एप्रोच के माध्यम से पहुंचा गया। जिसमें मरीज की छाती एवं पेट को खोला गया। जिसके कारण ऑपरेशन के दौरान अत्यधिक रक्तस्त्राव हो सकता है साथ ही इस गॉठ का आकार बड़ा होने के कारण इसने लेफ्ट साइड के गुर्दे को खून की सप्लाई करने वाली नली को पूरी तरह से दबा दिया था जिसके कारण ऑपरेशन के दौरान इस नस को एवं मरीज के गुर्दे को बचाना चिकित्सकों की टीम के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। मरीज का चिंरजीवी योजना के तहत निशुल्क इलाज किया गया। मरीज अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है एवं उसे छूट्टी दे दी है।