हायपोस्पेडियस पर लाइव सर्जिकल कार्यशाला
उदयपुर। हायपोस्पेडियस एक जन्मजात बीमारी है जिसमें लड़कों के जननांग सामान्य तरीके से काम नहीं करते और ना ही सामान्य दिखते हैं। ऐसे लड़कों में जन्म के समय से पेनिस में मौजूद डिफेक्ट को दूर करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जाती है। और इसी के लिए पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग की ओर से हायपोस्पेडियस के प्रबंधन एवं नई तकनीकों पर लाइव सर्जीकल कार्यशाला का आयोजन किया गया।
पीएमसीएच के प्रिसिंपल एवं डीन डॉ.एम.एम.मंगल ने बताया कि इस कार्यशाला में नॉरफॉक और नॉर्विच विश्वविद्यालय अस्पताल यू.के. के डॉ. आजाद बी.माथूर ने हायपोस्पेडियस सर्जरी की लाईव कार्यशाला के द्वारा चिकित्सकों को इस बीमारी की बारीकियों से रूबरू कराया।
इस दौरान डॉ.माथुर ने बताया कि आमतौर पर इस समस्या से पीड़ित बच्चों का पेनिस जन्म से ही टेढ़ा होता है और मूत्रनली भी पूरी तरह विकसित नहीं होती है। साथ ही टिप पर होल (छेद) नहीं होता, बल्कि यह पेनिस के अंत में या मघ्य में हो सकता है, या अंडकोष में भी हो सकता है। यह एक सामान्य जन्मजात समस्या है जो एक लाख में से 4 बच्चे में पाई जाती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जरूरत पड़ती है। यदि समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है, तो यह एक बार सर्जरी से ही ठीक हो जाती है। पेनिस में मौजूद डिफेक्ट यदि गंभीर है तोएक से ज्यादा बार सर्जरी करनी पड़ सकती है। यह सर्जरी जब बच्चा 6 महीने से 2 साल के बीच होता है तभी यह सर्जरी की जाती है।
इस अवसर पर पेसिफिक मेडिकल विश्वविधालय की ओर से डॉ.माथुर को प्रोफेसर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया,यह सम्मान उन्हें वाइस चॉसलर डॉ.ए.पी.गुप्ता एवं पीएमसीएच के प्रिसिंपल एवं डीन डॉ. एमएम मंगल ने दिया।
वर्कशॉप में सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एचपी गुप्ता, यूरोलोजिस्ट हनुवन्त सिंह, वाल एवं नवजात शिशू सर्जन डॉ. प्रवीण झंवर, डॉ. एचएल खमेसरा एवं एलएल सेन सहित अन्य प्रमुख शल्य चिकित्सक उपस्थित रहे।