पहले दिन ब्लड कैंसर के उपचार की नवीन विधाओ पर हुआ मंथन
उदयपुर। देश के कैंसर रोग विशेषज्ञों का महासम्मेलन उदयपुर में लिम्फोमा कैंसर पर वार्ता के साथ शुरू हुआ। ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी राष्ट्रीय कांफ्रेंस में देशभर के 500 से ज्यादा चिकित्सक भाग ले रहे हैं।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भीलों का बेदला, पारस हेल्थ, मेन केन फाउण्डेशन और विनका कैन्सर क्लिनिक प्राईवेट लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान तथा आईएमए उदयपुर, एपीआई, एसएसयू और यूओजीएस के विशेष सहयोग से हो रही कांफ्रेंस में डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन ने सभी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को स्वागत किया और आयोजन सचिव डॉ. आनंद गुप्ता ने एजेंडा प्रस्तुत किया । पहले दिन लिम्फोमा कैंसर यानि ब्लड कैंसर के विविध रूपों, जांचों, उपचार विकल्पों और नवीन तकनीकों पर विशेषज्ञों ने विचार रखे। तीन दिन तक चलने वाली इस कांफ्रेंस में शोधकर्ताओं ने शोध-पत्र प्रस्तुत किये।
कांफ्रेंस डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन ने बताया कि कांफ्रेस के पहले दिन पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भीलों का बेदला में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि चेयरमैन राहुल अग्रवाल, प्रीति अग्रवाल, अमन अग्रवाल, वाइस चांसलर डॉ. ए.पी. गुप्ता, प्रिंसीपल एंव नियन्त्रक डॉ. एम.एम. मंगल व टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. पुरविश पारिख उपस्थित रहे। यहां रेजिडेंट्स को शोध कैसे करें? विषय पर कार्यशाला के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। डॉ. पुरविश पारिख ने क्लिनिकल प्रेक्टिस में एआई के रोल पर बोलते हुए कहा कि आज हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ रहा है इस स्थिति में चिकित्सा विज्ञान कैसे अछूता रह सकता है। पूरी दूनिया में क्लिनिकल प्रेक्टिस में एआई का इस्तेमाल किया रहा है इससे कम समय में सटिक परिणामों के साथ गलती की संभावना बहुत कम रहती है। भारत में एआई का उपयोग समय के साथ और भी बढ़ेगा। यहां ऑन्कोलॉजी प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
डॉ.आनंद गुप्ता ने बताया कि एकेडमिक सेशन की शुरूआत डॉ.निलेश पतिरा ने हेमटोपोइजिस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ये बोन मेरो से संबंधित है और मरीज को प्राथमिक अवस्था में इसके बारे पता नहीं चलता है। जब मरीज में इसके लक्षण आते हैं तो जांचों के बाद कारण पता चलने पर वे घबरा जाते हैं लेकिन उपचार संभव है। डॉ.जगदीश विश्नोई ने लिम्फोमा बीमारी के कारणों, लक्षणों और वैश्विक स्तर के आंकडों पर प्रकाश डाला। डॉ. मल्लिका दीक्षित ने लिम्फोमा के कारण और जांचों की नवीन तकनीकों के बारे में बताया। भारत में उपलब्ध जांच मशीनों व विदेशों में उपयोग में ली वाले उपकरणों पर भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
तेजी से बढ़ने वाले डीएलबीसीएल कैंसर के पारम्परिक व आधुनिक उपचारों और उनकी भूमिका के बारे में डॉ. मुकेश रूलानिया ने विस्तारपूर्वक जानकारी दी। डॉ. प्रकाश सिंह शेखावत ने ब्लड कैंसर के एक रूप एफएल के नवीन उपचारों के उनकी सफलता के बारे में बताया और कहा कि आधुनिक उपचारों में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है लेकिन इनकी उपलब्धता सीमित है। दूसरे एकेडमिक सत्र में डॉ. सौरभ गुप्ता ने मायलोमा के कारणों, लक्षणों, उपचार विकल्पों और देश-दुनिया के विभिन्न आंकड़े प्रस्तुत किये साथ ही कहा कि मायलोमा की समस्या बढ़ती जा रही है और लोगों में जागरूकता की कमी है।
डॉ. प्रकाश सिंह शेखावत मल्टिपल मायलोमा से संबंधित जांचे, प्री कैंसर अवस्था और विभिन्न स्तरों पर जोखिम प्रबंधन के बारे में अपने विचार रखे और केस बेस्ट स्टडीज प्रस्तुत करते हुए उपचार में नवाचारों के बारे में बताया।डॉ. समीर मेलिनकेरी ने हिमेटोलॉजी के इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर प्रकाश डाला। इन्होंने रक्त और इसके विकारों के संबंध में गहन शोध के साथ तथ्य प्रस्तुत किये। सीआईएनवी में प्रबंधन विषय के वक्ता डॉ. अग्रवाल रहे। इन्होंने मरीजों पर किमोथैरेपी के प्रभावों और प्रबंधन के बारे में गहन जानकारी दी। एसएए के प्रबंधन में टीपीओ की भूमिका पर डॉ. हेमन्त मलहोत्रा ने विचार रखे। डॉ. मनोज महाजन ने फैफड़ों के कैंसर के कारण, जांचे और निवारण और एडवांसमेंट विषय पर कांफ्रेंस को संबोधित किया।