विश्व मधुमेह जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत पेसिफिक विश्वविद्यालय में विषेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों तथा शिक्षकों की निःशुल्क मधुमेह एवं रक्त संबंधी जांच की गई तथा उन्हें डायबिटीज से संबंधित कारण एवं निदान की व्यापक जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन में पेसिफिक यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट प्रो. के. के. दवे ने बताया कि भारत में विश्व के सर्वाधिक 10 करोड़ डायबिटीज रोगी है इसे देखते हुए शीघ्र ही बचाव संबंधी उपाय आरंभ करने जरूरी हो गए हैं। जागरूकता अभियान का उद्देश्य स्वस्थ व्यक्तियों की भी जांच करके यह पहले ही पता लगाना की कहीं उनमें डायबिटीज आरंभ होने के संकेत तो नहीं है, क्या उनमें शुगर की मात्रा बॉर्डर पर तो नहीं है। यदि ऐसा है तो बचाव के लिए जीवन शैली से संबंधित सुधार अभी से आरंभ कर दिए जावे जिससे कि उन्हें डायबीटीज जैसा असाध्य रोग नहीं हो।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के जनरल मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. के आर शर्मा ने बताया कि डायबिटीज एक ऐसा रोग है जो की अन्य कई रोगों को जन्म देता है। इससे न सिर्फ मस्तिष्क से लेकर पैर तक एवं हृदय से लेकर आंख तक शरीर के सभी अंग धीरे-धीरे प्रभावित होने लगते हैं। यह बहुत जरूरी है कि व्यक्ति नियमित रूप से अनुशासित रहते हुए निर्धारित कैलोरी ग्रहण करें और दवाइयों का भी समय पर सेवन करें तभी डायबिटीज को नियंत्रित रखते हुए सुचारू जीवन जिया जा सकता है ।
एंडोक्रायनोलॉजी विभाग के प्रो. आर.के. शर्मा ने बताया कि बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना, अधिक भूख लगना, आंखों में धुंधलापन छाना, बहुत प्यास लगना, थकान और चिड़चिड़ापन महसूस होना और कमर का घेरा बढ़ना डायबिटीज के लक्षण है। इनकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए और शीघ्र ही चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जगदीश विश्नोई ने बताया कि संतुलित आहार लेकर मधुमेह की संभावना को 58 प्रतिषत तक कम किया जा सकता है एवं इसके साथ ही यदि नियमित एक्सरसाइज भी की जावे तो यह संभावना 72 प्रतिशत तक कम हो सकती है। उन्होंने रंगीन थाली अर्थात विभिन्न विविध रंगों के खाद्य पदार्थ से युक्त भोजन करने जैसे कि खाने में दाल, चावल, रोटी, दही, हरी सब्जी, सलाद एवं फल के सेवन करने की सलाह दी। अनार, कच्चा पपीता और जामुन डायबिटीज के रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी बताया।
कार्यक्रम के समापन में पेसिफिक समूह के ग्रुप प्रेसिडेंट प्रो. बी.पी. शर्मा ने बताया कि दुश्चिंता और तनाव से मुक्त रहकर जीवन जीना बहुत ही महत्वपूर्ण है। तनाव मुक्त रहते हुए ही व्यक्ति कई रोगों से दूर रह सकता है जिनमें की डायबिटीज और कैंसर भी समाहित है। प्रफुल्लित एवं प्रसन्न व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि जो लोग दौड़ या जॉगिंग नहीं कर सकते उन्हें तेजी से चलने का अभ्यास करना चाहिए इससे पाचन क्रिया नियमित होती है, वसा का क्षय होता है और कैलोरी संतुलित हो जाती है।
कार्यक्रम के अंत में डीन पीजी स्टडीज प्रो. हेमंत कोठारी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के चिकित्सकों एवं नर्सिंग कर्मियों को अपनी कुशल सेवाएं देने के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रो पी के चौधरी, डीन, फैकल्टी ऑफ फार्मेसी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन माया शर्मा ने किया।