पेसिफिक विश्वविद्यालय के सभागार में तीन दिवसीय इंटीग्रेटिव केमिस्ट्री, बायोलॉजी और ट्रांसलेशनल मेडिसिन पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि दिल्ली वि.वि. के डीन ऑफ कॉलेजेस प्रो. बलराम पाणी ने डेटा विश्लेषण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मेडिसिन विकास से संबंधित शोध में महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. पाणी ने वैज्ञानिक अनुसंधानों के एथिकल उपयोग करने का आग्रह किया।
उद्घाटन सत्र में सिंगापुर एमआईटी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. जूलियन लेसकर ने मलेरिया की रोकथाम में चुनौतियों एवं नवीन दवाइयों व वैक्सिन के निर्माण की दशा एवं दिशा पर चर्चा की। यूनेस्को एम.जी.आई.ई.पी के अध्यक्ष तथा कॉन्फ्रेंस के गेस्ट ऑॅफ ऑनर प्रो. बी.पी शर्मा ने पेसिफिक विश्वविद्यालय को इस जन कल्याणकारी कॉन्फ्रेंस के लिए बधाई दी तथा उन्होंने उदयपुर के शिक्षा जगत में इसे एक मील का पत्थर बताया। कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन के दौरान पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पेसिफिक जर्नल ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज का भी विमोचन किया गया। मेडिकल के क्षेत्र में देश-विदेश में हो रहे नवीन शोध कार्यों का उल्लेखनीय समावेश इस जर्नल में किया गया है।
कॉन्फ्रेंस चेयरपर्सन राहुल अग्रवाल ने बताया कि कोविड जैसी वैश्विक महामारी से भी भारत इसी कारण बाहर निकल पाया कि यहां शोध कार्यों पर समुचित ध्यान देते हुए कोविशील्ड और कोवैक्सीन का निर्माण हुआ और करोड़ों भारतवासियों का वैक्सीनेशन संभव हुआ। इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस के आयोजन से ही सतत शोध कार्य को गति मिलती है।
विशिष्ट अतिथि हंसराज कॉलेज नई दिल्ली की प्रिंसिपल प्रो. प्रभा ने अपने उद्बोधन मे ंकहा कि बायोलॉजी, केमिस्ट्री और ट्रांसलेशनल मेडिसिन के समागम से संक्रामक रोगों, ट्रॉपिकल बीमारियों, कैंसर, मोटापे जैसी व्याधियों के लिए दवा विकसित करने और एक दूसरे की शोध प्रगति को साझा करने का यह कॉन्फ्रेंस एक बड़ा मंच दे रही है जिससे कि शोध की गति त्वरित होगी और प्रभावकारी दवाइयां प्रमाणिकता के साथ विकसित हो सकेंगी।
पेसिफिक ग्रुप ऑफ एजुकेशन के सीईओ शरद कोठारी के अनुसार यह कांफ्रेंस पेसिफिक यूनिवर्सिटी उदयपुर, हंसराज कॉलेज-दिल्ली विश्वविद्यालय, मेयो क्लिनिक अमरिका तथा हिट्रोकेम इनोटेक प्रा.लि. तथा पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी उदयपुर के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कि जा रही है।
कॉन्फ्रेंस कन्वीनर डॉ. बृजेश राठी ने अभिनव प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी के साथ चिकित्सा एवं फार्मेसी के तालमेल पर जोर देते हुए कहा कि इसी से जनकल्याण संभव है। सत्र का संचालन मिरांडा हॉउस कॉलेज दिल्ली कि डॉ. प्रियंवदा सिंह ने किया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अखिलेश वर्मा ने ऑनलाइन मास स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करते हुए रियल टाइम मॉनेटरिंग के द्वारा ऑर्गेनिक प्रतिक्रियाओं का यांत्रिक विश्लेषण करने का तरीका बताया। दिल्ली स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह ने प्रोटीन फास्फोर्यलेशन को जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया, इसके माध्यम से ऊर्जा विकास की प्रक्रिया संचालित होती है। प्रोटीन का संतुलित इंटेक कार्य क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
रशियन एकेडमी ऑफ साइंस की डॉ. अल्फेरोवा ने प्राकृतिक एंटीबायोटिक के महत्व को बताते हुए कहा की रासायनिक एंटीबायोटिक से यह बेहतर व दीर्घकालिक परिणाम देते है। विभिन्न माइक्रोबीयल पौधों से एंटीबायोटिक दवाइयांें का निर्माण संभव है जिनके साइड इफेक्ट भी अति निम्न है। मेयो क्लिनिक फ्लोरिडा के डॉ. चितले ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा रोग से बचाव के तरीकों व संभावनाओं के बारे में बताया। राम मनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली के डॉ. पुलिन गुप्ता ने देश में डेंगू की स्थिति तथा उसके समाधान के लिए प्रभावी व्यूहरचनाओं पर रोशनी डाली।
साउथ अफ्रीका के प्रो. राजशेखर ने ड्रग डिस्कवरी और ड्रग सिंथेसिस से संबंधित प्रयोग और सर्वमान्य उपकरणों एवं उपाय के बारे में चर्चा की। यूनिवर्सिटी ऑफ डेबरिसेन हंगरी के डॉ. डेविड ने शोध के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों तथा इंडस्ट्री के बीच सहयोग व सामंजस्य की आवश्यकता को समझाया। इसी के माध्यम से कम खर्चें में बेहतर और प्रभावकारी दवाओं का निर्माण हो सकता है साथ ही इससे विद्यार्थियों को भी प्रेक्टिकल नॉलेज अधिक से अधिक मिल सकेगी।
आईआईटी हैदराबाद के प्रो. आशुतोष मिश्रा ने फलेविन कोर के नैसर्गिक व्यवहार तथा उसके बायोलॉजिकल प्रयोगों की व्याख्या करते हुए बताया कि बायोसेंसर्स तथा एंजाइमेटिक रिएक्शंस में इसका महत्वपूर्ण प्रयोग हो सकता है।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज की डॉ. प्रेरणा शर्मा ने कहा कि युवाओं में बेहतर मानसिकता और सुदृढ़ता तभी बढ़ेगी जब उन्हें सहयोगी और सुरक्षित वातावरण देने का हम प्रयास करेंगे। यह हम सभी का संयुक्त सामाजिक दायित्व है कि हम इस दिशा में सकारात्मक प्रयास करें और अनावश्यक दबाव युवाओं पर नहीं डालें; फिर चाहे वह आर्थिक हो, सामाजिक हो, पारिवारिक हो या शैक्षिणिक। उनके संतुलित मानसिक विकास के लिए अनुचित दबाव घातक है।
पेसिफिक वि.वि. के प्रेसिडेंट प्रो. के.के.दवे ने जानकारी दी कि कॉन्फ्रेंस के दौरान एक वृहद पोस्टर प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमें की 200 पोस्टर प्रदर्शित करते हुए शोधार्थियों ने इनकी व्याख्या की। डीन पीजी स्टडीज प्रो. हेमन्त कोठारी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का पहला दिन काफी सफल और विद्यार्थियों के लिए उत्साहवर्धन भरा रहा। विद्यार्थियों ने विश्व भर से आए प्रतिनिधियों से व्यक्तिशः मिलकर जानकारी अर्जित करने का पूरा लाभ उठाया।