उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के आईवीएफ विभाग की साइन्टिफिक डॉयरेक्टर डॉ.मनीषा वाजपेयी ने “एम्स्टर्डम,नीदरलैंड में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रियोलॉजी की ओर से आयोजित कॉन्फ्रेस ईएसएचआरई-2024 में वेजाइनल माइक्रोबायोम पर पीएमसीएच में किए रिचर्स को किया प्रिजेन्ट किया। राजस्थान से इस कॉन्फ्रेस में केवल डॉ.मनीशा वाजपेयी को अपना षोध प्रस्तुत करने के लिए चुना गया। यह हमारे उदयपुर के लिए गौरव की बात है।
डॉ.मनीषा वाजपेयी ने बताया कि आईवीएफ की सफलता के साथ नई तकनीक के बाद भी दुनिया भर में आईवीएफ की सफलता दर 50 फीसदी से 60 फीसदी ही है और शेष असफल मामलों में कई कारको का पता नहीं चलता है और पीजीटी और पीजीएस जेनेटिक टेस्ट के बाद भी जबकी एंडो मेट्रियम भी अच्छा था फिर भी आईवीएफ की सफलता नहीं बढ़ी।
डॉ.वाजपेयी ने स्पष्ट किया कि वेजाइनल माइक्रोबायोम महिलाओं के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सूक्ष्मजीवों का एक जटिल समुदाय है जो वेजाइनल में रहता है और विभिन्न स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित कर सकता है, जिनमें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन( आईवीएफ) के परिणाम भी शामिल हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि वेजाइनल माइक्रोबायोम की संरचना आईवीएफ के परिणामों पर प्रभाव डाल सकती है। लैक्टोबैसिलस प्रजाति की अधिकता एक स्वस्थ वेजाइनल माइक्रोबायोम का संकेत है और इसे सकारात्मक आईवीएफ परिणामों से जोड़ा गया है। इसके विपरीत, वेजाइनल माइक्रोबायोम में रोगजनक बैक्टीरिया की उपस्थिति आईवीएफ सफलता दर को कम कर सकती है।
महिलाओं के वेजाइनल माइक्रोबायोम का परीक्षण और उसके असंतुलन का उपचार आईवीएफ की सफलता दर को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। यह अध्ययन दिखाते हैं कि वेजाइनल माइक्रोबायोम की नियमित निगरानी और प्रबंधन से आईवीएफ उपचार के परिणामों में सुधार हो सकता है।
यह दुनिया भर में की गई प्रारंभिक शोध रिपोर्टों में से एक है…और हमारे देश का पहला शोध है। यह रिसर्च निःसन्तानता के इलाज नए आयाम जोडेगा। इस रिसर्च को विश्वभर से इस कॉन्फेस में आए भाग ले रहे विशेषज्ञों ने सराहा। इन्टरनेशनल कॉन्फेस मे विश्वभर से सैकडों आईवीएफ विशेषज्ञों ने शिरकत की।